हरहुआ के दांदूपुर की रहने वाली वेटलिफ्टर पूनम यादव के परिवार ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय का खिलाड़ी बनाने के लिए बड़ा संघर्ष किया है। पूनम के खेल को आगे बढ़ाने के लिए घर की भैंस भी बेचनी पड़ी। कई मदद लोगों से मदद भी लेनी पड़ी।

पांच बेटियों व दो बेटों के पिता कैलाश यादव बताते हैं कि खेल में बच्चों की रुचि शुरू से थी। उन्होंने कभी इसके लिए रोका नहीं बल्कि जहां तक संभव था प्रोत्साहित ही किया। पूनम चौथे नंबर की बेटी है। इसके साथ ही इससे बडी़ शशि और छोटी बेटी भी वेटलिफ्टिंग करती हैं। खेल के साथ उनकी डाइट का इंतजाम करना कैलाश के लिए काफी मुश्किल था। पूनम का खेल काफी अच्छा था इसलिए शशि ने अपने खेल को विराम देकर उसे आगे बढ़ाना तय किया।

पिता ने दो भैसों को बेच दिया जबकि वह जानते थे कि इसके बाद बच्चों के लिए दूध का इंतजाम करना भी मुश्किल होगा। अपने परिवार के त्याग को पूनम ने व्यर्थ नहीं जाने दिया। उसने खेल में अपनी जान लगा दी और एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई। अपनी खेल की बदौलत पूनम रेलवे में सीनियर टीसी पद पर बनारस में तैनात है। बड़ी बहन शशि ने भी रेलवे में नौकरी कर ली है। भाई आशुतोष एथलीट था लेकिन पैर में चोट की वजह से खेल छोड़ना पड़ा। इस वक्त रेलवे में ठेकेदार कर रहा है। छोटा भाई आशुतोष हाकी की जूनियर इंडिया टीम में है। अंडर 16 में अपना खेल दिखा रहा है।