भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी महिला विश्व कप 2025 के सेमीफाइनल तक का सफर तय तो कर लिया, लेकिन फील्डिंग के मोर्चे पर उसका प्रदर्शन पूरे टूर्नामेंट में निराशाजनक रहा। सेमीफाइनल में डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी यही कमजोरी टीम पर भारी पड़ी। मैच के दौरान कप्तान हरमनप्रीत कौर समेत खिलाड़ियों ने अहम मौकों पर कैच छोड़कर विरोधी टीम को फायदा पहुंचाया। पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने कुल 18 कैच टपकाए, जो उसके औसत फील्डिंग स्तर को दर्शाता है।

भारतीय टीम ने इस विश्व कप में बल्लेबाजी और गेंदबाजी में कई बार दमखम दिखाया और सेमीफाइनल तक पहुंची, लेकिन फील्डिंग लगातार चिंता का विषय बनी रही। नवी मुंबई में खेले गए सेमीफाइनल में तीसरे ओवर में ही कप्तान हरमनप्रीत कौर से रेणुका सिंह की गेंद पर मिड ऑफ पर आसान कैच छूट गया। यह कैच ऑस्ट्रेलिया की कप्तान एलिसा हीली का था, जो उस समय केवल 2 रन पर खेल रही थीं। हालांकि, छठे ओवर में क्रांति गौड़ ने उन्हें बोल्ड कर टीम को राहत दी, लेकिन शुरुआती गलती का असर साफ नजर आया।

इसके बाद 26वें ओवर में विकेटकीपर ऋचा घोष ने अमनजोत कौर की गेंद पर फीबी लिचफील्ड का कठिन कैच छोड़ दिया। लिचफील्ड तब 102 रन पर थीं और बाद में 119 रन बनाकर आउट हुईं।

सांख्यिकी के अनुसार, टीम इंडिया ने टूर्नामेंट में कुल 35 कैच पकड़े और 18 छोड़े। यानी उसकी कैच सफलता दर केवल 66 प्रतिशत रही, जिससे वह आठ टीमों में सातवें स्थान पर रही।

सेमीफाइनल में सिर्फ कैचिंग ही नहीं, बल्कि ग्राउंड फील्डिंग भी कमजोर रही। कई मौकों पर मिसफील्डिंग के चलते ऑस्ट्रेलिया को अतिरिक्त रन और बाउंड्री मिलती रहीं। एलिसा हीली के आउट होने के बाद भारतीय टीम के पास दबाव बनाने का मौका था, लेकिन लगातार फील्डिंग गलतियों ने यह बढ़त छीन ली।

कुल मिलाकर, भारतीय टीम का यह प्रदर्शन एक बार फिर यह साबित करता है कि फील्डिंग सुधार के बिना विश्व कप जीत का सपना अधूरा ही रहेगा।