भारतीय वनडे टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने अपने टेस्ट करियर को लेकर अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को सबसे चुनौतीपूर्ण और थकाने वाला प्रारूप बताते हुए कहा कि इस फॉर्मेट में खेलने के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है।
रोहित पहले ही टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं और हाल ही में आईपीएल 2025 के दौरान उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास लेने का फैसला किया। अब वे सिर्फ वनडे फॉर्मेट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
“मानसिक रूप से बेहद कठिन है टेस्ट”
रोहित ने अपने करियर में 67 टेस्ट खेलते हुए 40.58 की औसत से 4301 रन बनाए हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “टेस्ट मैचों में आपको पांच दिन तक लगातार खेलना पड़ता है। यह मानसिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण और थकाने वाला होता है। लेकिन भारत के लगभग हर क्रिकेटर ने अपनी शुरुआत प्रथम श्रेणी क्रिकेट से की है। वहां से हम छोटी उम्र से ही लंबे मैचों के लिए तैयार होते हैं।”
उन्होंने बताया कि क्लब स्तर पर दो-दो या तीन-तीन दिन के मैच खेलते हुए खिलाड़ी धीरे-धीरे लंबी पारी खेलने का अनुशासन और धैर्य सीखते हैं।
तैयारी ही देती है अनुशासन
रोहित ने कहा कि करियर के शुरुआती दौर में युवा खिलाड़ी अक्सर तैयारी के महत्व को नहीं समझ पाते, लेकिन समय के साथ उन्हें एहसास होता है कि यही अनुशासन लाता है। “जब आप लंबे प्रारूप में खेल रहे होते हैं तो एकाग्रता और मानसिक मजबूती सबसे बड़ी जरूरत होती है। बेहतरीन प्रदर्शन के लिए खुद को मानसिक रूप से तरोताजा रखना पड़ता है। इसके लिए पर्दे के पीछे काफी मेहनत करनी होती है। असली कुंजी है—तैयारी। यही आपको मैदान पर लंबे समय तक टिकने में मदद करती है।”