लंबे समय से गौ-तस्करी के मामलों में बदनाम साईंटांगरटोली गांव में जशपुर पुलिस की पहल रंग लाने लगी है। “ऑपरेशन शंखनाद” के तहत चलाए जा रहे लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप कुख्यात गौ-तस्कर अमजद हजाम उर्फ बबलू ने अपराध की दुनिया से हमेशा के लिए दूरी बनाई और नई जिंदगी की शुरुआत की।

अमजद ने छत्तीसगढ़–झारखंड सीमा पर अपने नए ढाबे “बबलू शंख ढाबा” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जशपुर एसएसपी शशि मोहन सिंह ने भी उपस्थित होकर ढाबे का लोकार्पण किया और पहले ग्राहक के रूप में चाय पीकर बिल का भुगतान किया।

अमजद हजाम पर थाना लोदाम में तीन गौ-तस्करी मामले दर्ज हैं और पिछले आठ महीनों से वह फरार था। लगातार पुलिस की निगरानी और दबाव के बाद उसने आत्मसमर्पण किया। जेल से बाहर आने के बाद एसएसपी शशि मोहन सिंह से मुलाकात हुई, जिन्होंने उसे समझाया कि अपराध का कोई भविष्य नहीं होता और इससे केवल डर, असुरक्षा और जेल ही मिलती है। सही मार्ग अपनाने पर सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन उसका इंतजार कर रहा है। इस बात ने अमजद के मन को छू लिया और उसने अपराध छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।

अब अमजद ने स्थायी आजीविका के लिए ढाबा शुरू किया है, जो मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण यात्रियों की अधिक आवाजाही के चलते उसे अच्छी आय की संभावना देता है। उद्घाटन समारोह में ग्रामीण, व्यापारी, पुलिस अधिकारी और जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे और उन्होंने अमजद के नए जीवन की शुरुआत का स्वागत किया।

एसएसपी शशि मोहन सिंह ने कहा, "अपराध कोई विकल्प नहीं है। जो व्यक्ति सही मार्ग पर लौटना चाहता है, उसे जशपुर पुलिस पूरा सहयोग करेगी। युवाओं और ग्रामीणों को संदेश है कि मेहनत और ईमानदारी ही बेहतर जीवन का मार्ग है।" उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और समाज मिलकर ऐसे लोगों को नई दिशा दे सकते हैं जो किसी कारणवश अपराध की राह पकड़ लेते हैं।

अमजद ने मीडिया से कहा, "एसएसपी साहब से मुलाकात ने मेरी सोच बदल दी। अब मैं ईमानदारी से अपने परिवार का पेट पालना चाहता हूं।" जशपुर पुलिस की यह पहल जिले में सामाजिक पुनर्वास का सफल मॉडल बनकर उभरी है और एसएसपी ने कहा कि ऐसे प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे ताकि और लोग अपराध छोड़कर सम्मानजनक जीवन जी सकें।