सीजफायर पर आप का हमला: ‘पीओके  का छोड़ा मौका, मोदी का देश को धोखा’

भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन चले सैन्य टकराव के बाद आखिरकार दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई। लेकिन इस सीजफायर के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्ष लगातार इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना कर रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और दिल्ली में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

AAP का प्रदर्शन और आरोप
दिल्ली में AAP कार्यकर्ताओं ने ओखला में मोदी फ्लोर मिल्स के पास फुटओवर ब्रिज पर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने बैनर लेकर नारेबाजी की। बैनर पर लिखा था – “पीओके का छोड़ा मौका, मोदी का देश का धोखा।” AAP का कहना है कि सीजफायर की घोषणा अमेरिका के माध्यम से होना भारत की संप्रभुता पर सीधा प्रहार है।

संप्रभुता पर सवाल
AAP नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान सीजफायर की घोषणा भारत की स्वायत्तता पर चोट है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के पास पीओके पर कब्जा करने और बलूचिस्तान को अलग करने का सुनहरा मौका था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 78 वर्षों से भारत ने पाकिस्तान के मामले में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को नहीं माना, तो अब अमेरिका की भूमिका क्यों आई?

ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था। इस कार्रवाई में कई कुख्यात आतंकियों का खात्मा हुआ। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के शहरों पर हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया।

भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को ध्वस्त कर दिया, जिससे पाकिस्तान बुरी तरह घबरा गया। 10 मई को पाकिस्तान ने भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों देशों ने आपसी चर्चा के बाद स्वीकार कर लिया। हालांकि, इसके कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया, जिसका भारतीय सेना ने सख्त जवाब दिया।

विपक्ष का सरकार पर हमला
विपक्ष का कहना है कि सीजफायर का फैसला जल्दबाजी में लिया गया और सरकार को इसे लेकर संसद में चर्चा करनी चाहिए थी। विपक्षी दलों का मानना है कि सीजफायर से पाकिस्तान को राहत मिली है, जबकि भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा रखने की जरूरत थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here