दिल्ली में आयुष्मान योजना को दो महीने, बड़े अस्पताल अब भी बाहर

दिल्ली में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लागू हुए दो माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक राजधानी के प्रमुख निजी अस्पताल इस योजना से नहीं जुड़ पाए हैं। फिलहाल केवल लगभग 60 अस्पताल योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिनमें अधिकतर छोटे व मध्यम दर्जे के निजी अस्पताल या नर्सिंग होम शामिल हैं।

समय पर भुगतान और कम दरें बनीं बाधा

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, दिल्ली में एक हजार से अधिक निजी अस्पताल और नर्सिंग होम पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश इस योजना में शामिल होने से कतरा रहे हैं। निजी स्वास्थ्य संस्थानों का कहना है कि योजना के तहत निर्धारित दरें अत्यधिक कम हैं और भुगतान समय पर नहीं मिल पाता, जिससे उन्हें वित्तीय घाटा उठाना पड़ता है। विशेष रूप से सर्जरी जैसे महंगे उपचारों की लागत योजना में निर्धारित दरों से पूरी नहीं हो पा रही है, जिस कारण अस्पताल इसमें शामिल होने से हिचक रहे हैं।

निजी अस्पतालों से हजारों बिस्तर हटा दिए गए

हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह का कहना है कि योजना के अंतर्गत राजधानी के उच्च स्तरीय निजी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। वहीं, नेशनल मेडिकल फोरम और दिल्ली अस्पताल फोरम के प्रमुख डॉ. प्रेम अग्रवाल ने सुझाव दिया कि योजना को बेहतर बनाने के लिए दरों और भुगतान की प्रक्रिया में सुधार जरूरी है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सख्त नियमों की वजह से निजी अस्पतालों के करीब आठ हजार बिस्तर कम कर दिए गए हैं, जबकि राजधानी की जनसंख्या को देखते हुए अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली में एक लाख अस्पताल बिस्तरों की आवश्यकता है।

ओपीडी और पूर्व-उपचार सेवाएं योजना में नहीं

आयुष्मान भारत योजना में ओपीडी और बीमारी की प्रारंभिक जांच की सुविधा शामिल नहीं है। मरीजों को पहले किसी गंभीर बीमारी की पुष्टि करानी होती है, जिसके बाद ही योजना के तहत इलाज संभव होता है। कई बार मरीज आयुष्मान कार्ड लेकर ओपीडी में आते हैं और मुफ्त जांच की उम्मीद करते हैं, जो कि योजना के प्रावधानों में नहीं है। निजी अस्पतालों का कहना है कि गंभीर बीमारियों की पहचान पर पहले ही मरीजों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है, जबकि सरकारी अस्पतालों में जांच प्रक्रिया में महीनों लग जाते हैं।

भुगतान में देरी से निजी अस्पताल नाराज़

निजी अस्पतालों का यह भी कहना है कि अन्य राज्यों में जहां उन्होंने योजना के तहत उपचार किया, वहां एक वर्ष तक भुगतान लंबित रहा। मौजूदा समय में दिल्ली में सीमित संख्या में निजी संस्थान इस योजना के अंतर्गत सेवाएं दे रहे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कुछ नेत्र चिकित्सालय और डायलिसिस केंद्र शामिल हैं।

सरकार का पक्ष

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जानकारी दी कि राजधानी के 83 अस्पताल योजना से जुड़ चुके हैं, जिनमें 59 निजी और 24 सरकारी अस्पताल हैं। साथ ही, देशभर के अन्य पंजीकृत अस्पतालों में भी दिल्ली के लाभार्थी इलाज करवा सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत अब तक 3,30,369 लोगों और वय वंदना योजना में 1,54,116 वरिष्ठ नागरिकों का पंजीकरण हुआ है। इनमें से अब तक कुल 729 लोग योजना का प्रत्यक्ष लाभ उठा चुके हैं।

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