दिल्ली के वेलकम क्षेत्र स्थित जनता कॉलोनी में जो इमारत ढही, उसी के भूतल पर एक आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता था। रोजाना सुबह 9 बजे के आसपास इस केंद्र में नन्हे बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते थे। गनीमत रही कि हादसा सुबह 7 बजे के करीब हुआ — यदि यह दो घंटे देर से घटित होता, तो कई मासूम बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती थी।
स्थानीय निवासियों में अब्दुल मतलूब के परिवार की त्रासदी को लेकर शोक की लहर है, वहीं आंगनबाड़ी संचालन के समय हादसा न होने पर लोगों ने राहत की सांस भी ली है। बताया गया कि रोजाना 20 से 25 बच्चे इस केंद्र में शिक्षा व भोजन के लिए आते थे। इमारत गिरने के बाद जहां लोग सदमे में हैं, वहीं कई बच्चे भी डरे-सहमे नजर आए।
पास में रहने वाले जीशान ने बताया कि जावेद और परवेज उनके मित्र हैं और उनके पिता अब्दुल मतलूब ने अपने घर के ग्राउंड फ्लोर का हॉल आंगनबाड़ी को किराए पर दे रखा था। यहां बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ भोजन भी दिया जाता था, जिससे आस-पास के कई परिवार अपने बच्चों को यहां भेजते थे।
जीशान ने कहा, “आमतौर पर बच्चे सुबह पौने 9 बजे से आने लगते थे। शुक्र है कि हादसा उससे पहले हो गया, वरना अनगिनत मासूम जिंदगियां काल के गाल में समा जातीं।” उन्होंने भावुक होकर कहा, “शायद मतलूब चाचा की किस्मत में यह दिन लिखा था। अब बस यही दुआ है कि घायल परिजन जल्द स्वस्थ हों।”