दिल्ली। करोलबाग इलाके में एक संपत्ति के अनधिकृत निर्माण के मामले में याचिका दाखिल करने वाली महिला पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए जुर्माने की राशि दिल्ली हाईकोर्ट अधिवक्ता कल्याण ट्रस्ट में जमा कराने का आदेश दिया।
कोर्ट ने बताया दुरुपयोग और तथ्य छिपाने का मामला
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने नोट किया कि महिला ने मुकदमे में यह जानकारी नहीं दी कि इसी संपत्ति के संबंध में ट्रायल कोर्ट में पहले से दीवानी मुकदमा दायर है और यह संपत्ति पिछले बीस वर्षों से खाली पड़ी थी।
पीठ ने कहा कि यदि कोई पक्ष झूठा बयान देता है, तथ्य छिपाता है या न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास करता है, तो उसकी याचिका केवल इसी आधार पर खारिज की जा सकती है।
याचिकाकर्ता द्वारा पैसे ऐंठने का प्रयास
कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला प्रतिवादियों में से एक से पैसे ऐंठने के इरादे से संपर्क कर रही थी। पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी भी पक्ष को न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल करके दूसरे पक्ष को ब्लैकमेल करने की अनुमति नहीं है।
न्यायालय ने यह भी जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण के मामले गंभीर हैं, लेकिन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किसी भी उद्देश्य से नहीं किया जा सकता।
यह आदेश न्यायपालिका द्वारा अदालत की प्रक्रिया को गलत उद्देश्यों के लिए प्रयोग करने वाले पक्षों के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है।