दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को भारतीय पायलट गिल्ड की ओर से दायर अवमानना याचिका पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अदालत से मंजूरी मिलने के बावजूद इस साल की शुरुआत में नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियमावली को पूरी तरह लागू नहीं किया गया।

याचिका में दावा किया गया कि एयरलाइंस को पायलटों की थकान प्रबंधन से जुड़े नियमों में छूट और समयसीमा बढ़ाने की अनुमति दी गई, जो सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (सीएआर) 2024 के उल्लंघन के दायरे में आता है। न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने इस याचिका पर डीजीसीए को नोटिस जारी किया और 17 अप्रैल को अगली सुनवाई तय की।

संगठन ने याचिका में कहा कि नई एफडीटीएल नियमावली पायलटों की थकान को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी, लेकिन डीजीसीए ने एयरलाइंस को छूट और रियायतें देकर अदालत को दिए गए निर्देशों की अवहेलना की और उड़ान व यात्रियों की सुरक्षा को जोखिम में डाला। याचिका में अनुरोध किया गया कि अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।

डीजीसीए की ओर से पेश वकील ने अदालत में कहा कि सीएआर की विषयवस्तु अभी पूरी तरह स्थिर नहीं हुई है। हालांकि, लागू करने की समयसीमा बाध्यकारी है, लेकिन नियामक के पास विमान अधिनियम और नियमों के तहत अस्थायी या विशेष मामलों में छूट देने का अधिकार है।

इस साल की शुरुआत में डीजीसीए ने एक अन्य मामले में हलफनामे में कहा था कि नए एफडीटीएल नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। प्रस्तावित 22 प्रावधानों में से 15 जुलाई से लागू किए गए, जबकि शेष प्रावधान 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होंगे। ये नियम पायलटों को पर्याप्त आराम का समय सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।

यह याचिका इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन, इंडियन पायलट्स गिल्ड और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स की ओर से पहले दायर याचिकाओं के बाद आई है। फेडरेशन ने नवंबर 2025 में भी अवमानना याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि डीजीसीए ने अदालत के निर्देशों का जानबूझकर पालन नहीं किया और नियमावली में समयसीमा बढ़ाकर और छूट देकर सीएआर 2024 के अनुरूप नीतियों को मंजूरी दी।