नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि प्रदूषण संकट का समाधान व्यावहारिक और ठोस तरीके से सोचना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से निर्देश दिया कि पाबंदियों के कारण निष्क्रिय पड़े निर्माण श्रमिकों का सत्यापन कर उनके खातों में वेतन राशि ट्रांसफर की जाए। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि श्रमिकों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने पर विचार किया जाए।

दिल्ली सरकार ने बताया कि 2.5 लाख निर्माण श्रमिकों में से 7,000 का सत्यापन पूरा हो चुका है और उनके खातों में राशि भेज दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भेजी गई राशि सुरक्षित रहे और किसी अन्य खाते में न जाए।

स्कूलों को बंद करने के मामले में अदालत ने हस्तक्षेप से इनकार किया। सर्दियों की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए नर्सरी से कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने के आदेश में बदलाव की आवश्यकता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिए NHAI और MCD को निर्देश दिया कि नौ टोल प्लाजा को शिफ्ट करने या अस्थायी रूप से बंद करने पर विचार करें। अदालत ने केवल BS-4 और उससे ऊपर की वाहनों को छूट देने का आदेश दिया और पुरानी डीजल-पेट्रोल वाहनों पर पहले के आदेश में बदलाव किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट हर साल उत्पन्न होता है। इसलिए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और CAQM से लंबी अवधि के उपायों पर पुनर्विचार करने, शहरी मोबिलिटी सुधारने और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन देने को कहा गया।

यह सुनवाई प्रदूषण नियंत्रण, श्रमिक सुरक्षा और शहरी ट्रैफिक प्रबंधन को लेकर एक व्यावहारिक समाधान खोजने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।