रानी रामपाल ने हॉकी से लिया संन्यास, बोलीं- जब तक खेली दिल से खेली

भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने गुरुवार को संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है, जिससे हॉकी प्रेमियों काे बड़ा झटका लगा है। शाहाबाद की बेटी 29 वर्षीय रानी रामपाल ने महिला टीम को ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिलाया था।  2021 में टोक्यो खेलों में चौथे स्थान पर रहीं और यही खिलाडी ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं। 

उधर संन्यास लेने के ऐलान के बाद रानी रामपाल ने कहा कि उन्हें गर्व है कि जो लोग शुरुआत में उनके खेलने का विरोध करते थे आज अपनी बेटियों को उनके जैसा बनाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी खिलाड़ी के लिए जीवन का सबसे कठिन फैसला वह होता है जब उसे अपने खेल को अलविदा कहे। लेकिन वे उपलब्धि को देखती हैं तो बहुत गर्व भी होता है। क्योंकि सात साल की उम्र में पहली बार हॉकी थामने वाली हरियाणा के एक छोटे से शहर शाहबाद की बेटी ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह देश के लिए 15 साल हॉकी खेलेगी और देश की कप्तान बनेगी। 

उन्होंने कहा इतना मौका और मुकाम बहुत कम लड़कियों को मिलता है। वे इतने समय तक दिल से ही खेली। हॉकी ने बहुत कुछ दिया है। बड़ी पहचान भी दी। इतने साल तक खेलने की खुशी है तो दुख भी है कि अब भारत की जर्सी कभी नहीं पहन सकेंगीं। उन्होंने कहा कि माता-पिता ने उनके लिए गरीबी के बीच कड़ा संघर्ष किया तो उन्होंने भी उसी समय ठान लिया था कि अगर जीवन में कुछ तो करना ही होगा। मुझे मेरे कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त बलदेव सिंह ने भरोसा दिलाया कि वह हॉकी में बेहतरीन कर सकती हैं। 

 …उत्कृष्टता का एक युग समाप्त हो गया
एक्स पर पोस्ट करते हुए हॉकी इंडिया ने लिखा कि उत्कृष्टता का एक युग समाप्त हो गया। आज हम एकमात्र और एकमात्र रानी रामपाल को विदाई देते हैं, जो एक दशक से अधिक समय से भारतीय हॉकी को परिभाषित करने वाली एक आइकॉन हैं। भारत को अनगिनत जीत दिलाने से लेकर देश भर के महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए प्रेरणा बनने तक, रानी की विरासत हमेशा चमकती रहेगी। रानी आपके बेजोड़ समर्पण, नेतृत्व और जुनून के लिए धन्यवाद। आपने अगली पीढ़ी के लिए रास्ता तैयार किया है और भारतीय हॉकी पर आपका प्रभाव आने वाले वर्षों तक महसूस किया जाएगा।

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