शिमला। आईजीएमसी के वार्ड में हाल ही में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट के मामले में आरोपी चिकित्सक राघव ने मीडिया के सामने घटना का अपना पक्ष रखा। आर्थो विभाग में तैनात राघव ने खुलकर बताया कि मरीज ने अपशब्द बोले और उनके परिवार को भी बीच में खड़ा कर अपमानजनक बातें कीं।
डॉक्टर राघव ने कहा, "हम डॉक्टर भी इंसान हैं। आठ साल से इसी विभाग में काम कर रहा हूँ और अब तक पांच-छह हजार मरीज देख चुके हैं, लेकिन ऐसा अपमान कभी नहीं देखा। मैंने किसी भी मरीज को गलत नहीं बोला और न ही एटिट्यूड दिखाया। मैंने शांत रहने और बातचीत से समाधान निकालने की कोशिश की।"
उन्होंने आगे बताया कि मरीज ने गहमागहमी में उन्हें धक्का दिया और आईवी स्टैंड से हमला करने की कोशिश की। "मेरे हाथ में चोट लगी, पीठ में दर्द है और फर्स्ट एड के लिए सात-आठ घंटे इंतजार करना पड़ा। क्या डॉक्टरों के लिए ऐसा माहौल होना चाहिए?" उन्होंने सवाल उठाया।
राघव ने यह भी कहा कि घटना के बाद दो से ढाई सौ लोग अस्पताल में हंगामा करने पहुंचे और डर का माहौल बनाया। उन्होंने कहा, "हम रात-दिन मेहनत करते हैं, मरीज देखते हैं, लेकिन हमें इस तरह का व्यवहार सहन करना पड़ता है।"
परिजन और क्षेत्र के लोगों ने मुख्यमंत्री से की मुलाकात
आईजीएमसी में हुई इस घटना को लेकर परिजन और क्षेत्रीय लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने डॉक्टर की बर्खास्तगी की मांग की और जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कहा। नरेश दास्ता ने मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री ने पूरी बात सुनी और जांच के निष्पक्ष होने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों को चेतावनी दी कि यदि वे स्ट्राइक पर जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। परिजनों ने मांग की कि जांच कमेटी में आईजीएमसी के किसी भी चिकित्सक को शामिल न किया जाए और दोनों वीडियो में नजर आने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाए।