हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने सरकार के विकास के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक गर्भवती महिला के लिए एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी क्योंकि रास्ता कीचड़ और गड्ढों से भरा हुआ था। मजबूरन परिजन महिला को बैलगाड़ी में लादकर करीब तीन किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक लेकर गए, जिसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया।
यह मामला मौदहा विकासखंड के छानी गऊघाट इलाके के परसदवा गांव का है, जहां आज़ादी के बाद से अब तक पक्की सड़क नहीं बन सकी है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात हो या गर्मी, हर मौसम में वे इसी कच्चे रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं। बीमार पड़ने पर या किसी महिला को प्रसव पीड़ा होने पर गांव वाले एंबुलेंस के बजाय बैलगाड़ी का सहारा लेते हैं। हाल ही में सामने आए इस वीडियो ने प्रशासनिक लापरवाही और जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है।
गांव के निवासी कृष्ण कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी नौ माह की गर्भवती बहू को बैलगाड़ी से ले जाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि एंबुलेंस उनके घर तक पहुंच ही नहीं पाई। उन्होंने कहा कि यदि समय पर यह कदम न उठाया जाता तो जच्चा-बच्चा की जान को खतरा हो सकता था।
गांव की कुल आबादी लगभग 500 है। ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार पक्की सड़क की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार से अब तक केवल आश्वासन ही मिला है। बीते वर्ष सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने अनशन भी किया था, मगर हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ।
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष ने भी सरकार पर हमला बोला है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, “भाजपा के कुशासन ने एंबुलेंस को ‘बुल’ऐंस बना दिया है। उप्र में एंबुलेंस की जगह बैलगाड़ी चल रही है। क्या ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बैलगाड़ी खींचेगी?”
ग्रामीणों का कहना है कि वे अब फिर से सड़क निर्माण की मांग को लेकर सामूहिक रूप से आवाज उठाने की तैयारी में हैं, ताकि भविष्य में किसी अन्य परिवार को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।