शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को भू अभिधृति एवं भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025 पर चर्चा हुई, लेकिन विधेयक सदन में पास नहीं हो सका। विपक्ष ने विधेयक को और गहन समीक्षा के लिए सेलेक्ट कमेटी को भेजने का सुझाव दिया। इस पर मुख्यमंत्री सुखराम सुक्खू ने सहमति जताई। अब दोनों पक्षों के विधायकों की एक संयुक्त सेलेक्ट कमेटी का गठन किया जाएगा। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेज दिया है। राजस्व मंत्री को जल्द ही समिति गठन की अधिसूचना जारी करनी होगी। समिति की सिफारिशों के बाद यह विधेयक बजट सत्र में फिर से सदन में पेश किया जाएगा।

बता दें कि इस विधेयक को मंगलवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विधानसभा में पेश किया था। यह विधेयक 1972 के मूल अधिनियम की धारा 118 में संशोधन के उद्देश्य से लाया गया है। प्रस्तावित संशोधन के तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भवन या उसके हिस्से को 10 वर्षों तक लीज पर देने के लिए धारा 118 की अनुमति से बाहर किया जाएगा। इसके लागू होने पर ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषक व्यक्तियों को भवनों को किराए या लीज पर देने के लिए अब किसी सरकारी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

राजस्व मंत्री ने बताया कि इसका उद्देश्य छोटे व्यवसायों, स्टार्टअप्स, दुकानों और ग्रामीण पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना है। साथ ही, राज्य और केंद्र सरकार, सरकारी कंपनियों व वैधानिक निकायों की ओर से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत अधिग्रहीत भूमि पर भी इस संशोधन के तहत सुविधा प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य स्थानीय कृषकों की जमीन की सुरक्षा बनाए रखते हुए आधुनिक आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार धारा 118 में लचीलापन लाना है।