शिमला। संजौली मस्जिद को लेकर पुराना विवाद एक बार फिर सामने आ गया है। ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन ने दावा किया है कि मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, वह राजस्व रिकॉर्ड में “गैर मुमकिन मस्जिद” के नाम से दर्ज है, जिससे मस्जिद को अवैध नहीं माना जा सकता।
बालूगंज में सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में संगठन के अध्यक्ष नजाकत हाशमी ने कहा कि 1915 से अब तक के रिकॉर्ड में संजौली मस्जिद का नाम दर्ज है। उन्होंने बताया कि हाल ही में शिमला में हिंदू संगठनों द्वारा किए गए प्रदर्शन में मस्जिद को लेकर गलत तथ्य पेश किए गए। हाशमी ने कहा कि खसरा नंबर 107 में मालिक के कॉलम में सरकार दर्ज है, जबकि काश्त में मस्जिद का उल्लेख है।
हाशमी ने यह भी बताया कि मस्जिद कमेटी ने 2013 में नगर निगम में वर्तमान ढांचे के लिए आवेदन दिया था, ताकि बढ़ती नमाजियों की संख्या को देखते हुए सुविधाएं बढ़ाई जा सकें। हालांकि, ऊपरी मंजिलों को अवैध माना गया और हटा दिया गया। अब कमेटी निचली मंजिलों के नक्शे को पास कराने के लिए आवेदन करेगी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने मामले पर स्टे दिया है और अगली सुनवाई नौ मार्च को होगी।
मामले की टाइमलाइन:
-
2013: मस्जिद कमेटी ने नक्शा पास कराने और ऊपरी मंजिलें बढ़ाने के लिए आवेदन किया।
-
2009-2023: मामला नगर निगम आयुक्त की अदालत में लंबित, 50 से अधिक सुनवाइयां।
-
31 अगस्त 2024: स्थानीय दुकानदार पर हमला, तनाव बढ़ा।
-
4-5 सितंबर 2024: मंत्री और हिंदू संगठनों ने मस्जिद को अवैध बताया; प्रदर्शन हुआ।
-
7-8 सितंबर 2024: अदालत में सुनवाई, वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक का दावा किया; अवैध निर्माण स्वीकार।
-
11-12 सितंबर 2024: प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई, मस्जिद कमेटी ने ज्ञापन दिया।
-
3 मई 2025: नगर निगम आयुक्त की अदालत ने मस्जिद को पूरी तरह अवैध ठहराया।
-
30 अक्टूबर 2025: जिला अदालत ने MC आदेश को सही ठहराया।
-
8 दिसंबर 2025: मुस्लिम संगठन ने 1915 के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए नया आवेदन देने की घोषणा की।
विपक्ष का कहना:
हिंदू संघर्ष समिति के प्रवक्ता विजय शर्मा ने मुस्लिम संगठन के दावों को पूरी तरह झूठा बताया। उनका कहना है कि मस्जिद अवैध है और मुस्लिम पक्ष द्वारा पेश किया गया 115 साल पुराना हवाला कानूनी दृष्टि से अस्वीकार्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष की प्रेस वार्ता सरकार की तैयार स्क्रिप्ट पर आधारित थी।