जामा मस्जिद में भावुक हुए मीरवाइज, बोले- हम कश्मीर में अमन चाहते हैं

मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि वे कश्मीर में अमन और शांति चाहते हैं। वे चाहते हैं कि घाटी में कश्मीरी पंडित वापस लौट आएं और पहले की तरह यहां ही रहें। प्रदेश में शांत और भाईचारा बढ़े। करीब 212 शुक्रवार बीतने के बाद आज कश्मीर के मीरवाइज मौलवी उमर फारूक श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ाने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान अपने संबोधन के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं।

Mirwaiz Umar Farooq Lead Friday Namaz In Srinagar said they want peace in kashmir

मीरवाइज उमर के स्वागत के लिए हजारों लोग जामा मस्जिद पहुंचे, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल रहीं। जिस ओर भी नजर की गई लोग ही लोग नजर आए। लोगों ने हार-मालाएं पहनाकर उनका स्वागत किया। मीरवाइज मौलवी की एक झलक पाने के लिए भी वह बेताब नजर आए। कई इन यादगार लम्हों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए आतुर दिखे।

वहीं, लोगों में तो उनके मस्जिद आने पर पर खूब जोश देखा गया, लेकिन मीरवाइज उमर इस दौरान काफी शांत नजर आए। इतना ही नहीं, जामा मस्जिद में जैसे ही उन्होंने कदम रखा तो भावुक हो गए। अपने संबोधन के दौरान भी वह आंखों में आए आँसुओं को रोक नहीं पाए। मस्जिद में उन्होंने करीब दो घंटे बिताए। वहीं, आम लोगों से भी उन्होंने मुलाकात की और उनसे हाथ मिलाया।

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मीरवाइज फारूक ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘हम कश्मीर में अमन और शांति चाहते हैं। हम चाहते हैं कि घाटी में कश्मीरी पंडित वापस लौटें। घाटी में शांति और भाईचारा बढ़े।’

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पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, अपनी पार्टी प्रमुख अल्ताफ बुखारी सहित अन्य घाटी के राजनीतिक नेताओं ने मौलवी मीरवाइज उमर फारूक के शुक्रवार की नमाज पढ़ाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। कड़ी सुरक्षा के बीच मीरवाइज उमर श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद पहुंचे। इस दौरान लोगों ने भरपूर जोश के साथ उनका स्वागत किया 

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गौरतलब है कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक फारूक के बेटे हैं, जिनकी 21 मई 1990 को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। इस साल मई की शुरुआत में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने मामले में हिजबुल मुजाहिदीन के दो फरार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आतंकवादी जावेद अहमद भट और जहूर अहमद भट्ट श्रीनगर के निवासी थे। वे 21 मई 1990 को मीरवाइज फारूक की हत्या के बाद से फरार थे। 

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