मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी चरण है। केंद्र सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने के वादे को पूरा करेगी। हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती राज्य का दर्जा वापस पाना है। हम लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि हमसे किए वादे पूरे होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसले दिया है कि राज्य का दर्जा जल्द बहाल किया जाए।
मुख्यमंत्री वीरवार को शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में प्रेसवार्ता में कहा, हमें सत्ता में आए दो महीने से अधिक समय बीत चुका है। हमें यह समझने में समय लगा कि केंद्र शासित प्रदेश में सरकार कैसे काम करती है। हम पहले भी सरकार से जुड़े रहे हैं, लेकिन उस रूप और वर्तमान रूप में बहुत अंतर है। पांच अगस्त, 2019 में केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।
पूर्ववर्ती रियासत को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया। जम्मू-कश्मीर में सीमित शक्तियों वाली विधानसभा है, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा ही नहीं है। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पांच अगस्त, 2019 को लिए गए केंद्र के फैसलों को बरकरार रखा, लेकिन केंद्र सरकार से कहा कि वह जल्द राज्य का दर्जा बहाल करे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद सहित कई मौकों पर बयान दिया है कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दे दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई सरकार की शुरुआत सभ्य रही है और उन्हें इसमें ज्यादा कठिनाई नहीं हुई। हम अपने चुनावी वादों से बंधे हैं। हमने कुछ वादों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अन्य वादों के लिए हमें व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि नेकां का घोषणापत्र पांच साल के कार्यकाल के लिए था न कि पांच सप्ताह या पांच महीने के लिए। उमर ने कहा, कुछ मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण थे और हमने उन्हें पूरा किया, जिसमें राज्य के विशेष दर्जे का प्रस्ताव शामिल है।
पीएम, गृह मंत्री या राजभवन की ओर से हमपर विचारधारा बदलने का कोई दबाव नहीं
अब्दुल्ला ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है और नेशनल काॅन्फ्रेंस भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो सकती है। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या राजभवन की ओर से हम पर अपनी विचारधारा बदलने का कोई दबाव नहीं है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने मुझसे कहा है कि आपकी सरकार अस्थिर नहीं होगी और हम आपको वैसा ही सहयोग देंगे जैसा उपराज्यपाल को दिया गया है। सीएम ने कहा, जो लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि मैं अब एनडीए में शामिल हो जाऊंगा और मैंने अपनी विचारधारा बदल ली है, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। मैं यहां काम करने आया हूं और काम करूंगा। लोगों की भावनाओं का सम्मान और उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार को पहला मौका दिया जाना चाहिए
उमर ने कहा, हर सरकार या व्यक्ति के पास अदालत का सहारा लेने का विकल्प होता है, लेकिन यह कभी भी हमारी पहली प्राथमिकता नहीं रही। राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए न्यायालयों में लड़ाई लड़ना हमारी पहली पसंद नहीं हो सकती। अदालत जाना लड़ाई होगी। यह अंतिम विकल्प होना चाहिए।
अगर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के दर्जे की बहाली के बारे में बात नहीं कही होती, अगर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने इस बारे में बात नहीं की होती, तो हम अदालतों में जा सकते थे। उन्होंने वादे किए हैं और हमें पहले उन्हें एक मौका देना चाहिए।उमर ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री जितना सशक्त नहीं है। यह एक तथ्य है। इनकार में जीने का कोई मतलब नहीं है। अगर मैं एक सशक्त मुख्यमंत्री होता, तो मैं राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग क्यों करता।