हेमंत सोरेन की चूहे वाली टिप्पणी पर भाजपा का पलटवार, आरएसएस को बताया हिंदू शेर

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना चूहों से की। साहिबगंज के भोगनाडीह में एक रैली में सीएम सोरेन ने कहा कि आरएसएस चूहों की तरह राज्य में प्रवेश कर रही है। उनके इस बयान पर भाजपा ने तुरंत पलटवार किया। भाजपा की तरफ से कहा गया कि आरएसएस चूहे नहीं बल्कि हिंदू शेर हैं। इसके साथ ही पार्टी ने झारखंड के मुख्यमंत्री पर राजनीतिक लाभ के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।

गुरुवार को साहिबगंज के भोगनाडीह में एक रैली में हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच फूट डालने का काम कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस चूहों की तरह राज्य में प्रवेश कर रही है और इसे नष्ट कर रही है। जब आप लोग देखें कि ये लोग हांडिया और दारू के साथ आपके गांवों में प्रवेश कर रहे हैं तो ऐसे तत्वों को बाहर खदेंड़ें। वे चुनाव के लिए सांप्रदायिक अशांति और तनाव पैदा कर रहे हैं।

हेमंत सोरेन के बयान पर भाजपा का पलटवार
हेमंत सोरेन के इस बयान पर झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता अमर कुमार बाउरी ने तुरंत पलटवार किया। उन्होंने कहा, “हेमंत सोरेन ने आरएसएस की तुलना चूहों से की। यह उन हिंदू शेरों का अपमान है जो सनातन धर्म की महिमा को बहाल करने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। सोरेन जॉर्ज सोरोस की तर्ज पर काम कर रहे हैं। वे राजनीतिक लाभ के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं।” बता दें कि सोरोस हंगरी में जन्में अमेरिकी अरबपति हैं। भाजपा उनपर भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को निशाना बनाने का आरोप लगाती रही है, ताकि उनके द्वारा चुने गए लोगों को सरकार चलाने का मौका मिले। 

हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए अमर कुमार बाउरी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री केवल अपने परिवार और अपने कल्याण के बारे में चिंतित हैं। उन्होंने कहा, “भोगनाडीह, जहां से उन्होंने कहा कि 188 के संथाल विद्रोह का मुख्य केंद्र यही रहा है। यहां कोई जनसांख्यिकीय परिवर्तन नहीं हुआ। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कैसे वहां 40000 में से केवल सात ही संथाल परिवार शेष बचे थे। अगर वहां कोई जनसांख्यिकीय परिवर्तन नहीं हुआ तो वे अचानक से कहा गायब हो गए?”

बता दें कि 30 जून 1955 में बड़ी संख्या का संथाल के भोगनाडीह में इकट्ठा हुए और खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। उन्होंने सिद्धो मुर्मू के नेतृत्व में शपथ ली। कांहू मुर्मू ने ब्रिटिश शासकों और उनके एजेंटों के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी। 

गुरुवार को रैली में सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री की झारखंड में उपस्थिति पर सवाल किया। उन्होंने कहा कि उनके राज्य के आदिवासियों को अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है। सीएम सोरेन ने इस मामले में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को चिट्ठी भी लिख चुके हैं।

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