धनबाद: गया से हावड़ा जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन हावड़ा स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन में पैसेंजर अनाउंसमेंट सिस्टम से घोषणा हुई कि दरवाजे दाहिनी ओर खुलेंगे, जिसके बाद यात्री गेट के पास कतार में खड़े हो गए और गेट के खुलने का इंतजार करने लगे। लेकिन 10 मिनट बाद भी गेट नहीं खुले, जिससे यात्रियों में घबराहट फैल गई।

यात्री परेशान हो गए और इमरजेंसी बटन दबाया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। पैंट्री कार के कर्मचारियों से सहायता मांगी, लेकिन उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। इसी दौरान, कोच की एसी और लाइटें भी बंद हो गईं, जिससे पूरी ट्रेन अंधेरे में डूब गई। अंधेरे में बच्चों का रोना और महिलाओं का चिल्लाना शुरू हो गया, जिससे कोच में डर का माहौल बन गया।

कुछ समय बाद ट्रेन का पीए सिस्टम चालू हुआ और घोषणा की गई कि दरवाजे मैनुअली खोले जाएंगे। अंततः लंबी प्रतीक्षा के बाद दरवाजे मैनुअली खोले गए और यात्री ट्रेन से बाहर उतरे। धनबाद से हावड़ा तक यात्रा करने वाले राणा ने रेलवे की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'X' (पूर्व ट्विटर) पर भी शेयर किया और यह पूछा कि कर्मचारियों को आपातकालीन प्रोटोकॉल के बारे में क्यों नहीं सिखाया जाता है?

वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेन में सफर का अनुभव भी राणा ने साझा किया। ट्रेन के अंदर का माहौल सामान्य पैसेंजर ट्रेनों जैसा था, जहां कुछ यात्री तेज आवाज में रील्स और यू-ट्यूब वीडियो देख रहे थे, जबकि कुछ महिलाएं मोबाइल पर बातचीत कर रही थीं। पैंट्री कार स्टाफ ने एसी कोच के दरवाजे खोले हुए थे, जिससे कोच का तापमान ठंडा होने की बजाय गर्म हो गया था। इसके अलावा, ट्रेन में जो हेल्पलाइन नंबर दिए गए थे, उन पर कई बार कॉल किया गया, लेकिन पूरे सफर के दौरान नंबर व्यस्त बताते रहे।

इस घटना के बाद पूर्व रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि यह मामला संबंधित अधिकारियों को सौंप दिया गया है और इस पर कार्रवाई की जाएगी।