महाराष्ट्र सरकार ने 719 कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का उपयोग किया। यह जानकारी दिव्यांग कल्याण मंत्री अतुल सावे ने मंगलवार को विधानसभा में दी।

मंत्री ने बताया कि केंद्र और राज्य के निर्देश के बाद सभी विभागों में दिव्यांग प्रमाण पत्रों की अनिवार्य जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जिलों में शिकायतों का विवरण
सावे ने बताया कि शिकायतों के मामले सतारा (78), पुणे (46) और लातूर (26) जिलों में सामने आए हैं। पुणे जिले में 21 कर्मचारियों को फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है, जबकि नंदुरबार में दो कर्मचारियों को उनके पद से हटा दिया गया।

कानूनी कार्रवाई का प्रावधान
सरकारी निर्देशों के अनुसार, जिन कर्मचारियों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए या जिनकी दिव्यांगता 40 प्रतिशत से कम पाई गई, उनके खिलाफ 2016 के 'निःशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम' की धारा 11 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अनुशासनात्मक कार्यवाही भी लागू होगी।

मंत्री ने यह भी बताया कि नौ अक्टूबर को जारी सरकारी नोटिस के तहत सभी विभागों को आदेश दिया गया था कि वे दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच पूरी करें और आठ जनवरी, 2026 तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें।