मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में बड़ा राजनीतिक संदेश देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी या उसका गठबंधन कम से कम वर्ष 2029 तक विपक्ष की भूमिका में नहीं होगा। उनके इस बयान ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ संभावित समीकरणों को लेकर नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
फडणवीस ने अपने संबोधन में इशारों-इशारों में उद्धव ठाकरे को यह सुझाव भी दिया कि वे सत्तापक्ष का हिस्सा बनने पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “कम से कम 2029 तक हम विपक्ष में नहीं जाएंगे। उद्धव जी चाहें तो हमारे साथ आने पर सोच सकते हैं।”
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव नजदीक हैं, और सभी प्रमुख दल तैयारियों में जुटे हैं। पिछली बार बीजेपी और शिवसेना (एकीकृत) के बीच कांटे की टक्कर रही थी, लेकिन इस बार बीजेपी बीएमसी पर नियंत्रण स्थापित करने की हर संभव कोशिश कर रही है।
सियासी जोड़-तोड़ के संकेत
फडणवीस का बयान न सिर्फ भाजपा के आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि पार्टी बीएमसी चुनाव से पहले संभावित गठबंधनों को लेकर अपने विकल्प खुले रखे हुए है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर आगे विचार किया जा सकता है, जिससे उनके बयान के सियासी मायने और गहरे हो गए हैं।
राज-उद्धव की नजदीकी बनी रोड़ा
हाल ही में उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे एक मंच पर नजर आए, जहां दोनों ने हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने के फैसले का विरोध किया। हालांकि, राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस का उत्तर भारतीयों को लेकर पुराना रुख शिवसेना (उद्धव गुट) को असहज कर सकता है। इस कारण दोनों के बीच कोई औपचारिक गठबंधन फिलहाल संभव नहीं दिखता।
इधर, भाजपा के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि एक ओर जहां एकनाथ शिंदे गुट पहले से भाजपा सरकार में भागीदार है, वहीं अगर उद्धव गुट को साथ लाया जाता है तो सत्ता संतुलन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति आगामी चुनावों के मद्देनज़र और भी पेचीदा होती जा रही है।