शिरोमणि अकाली दल ने बुधवार को कहा कि पूरे देश में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने से अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पंजाब में विपक्षी दल ने यूसीसी को 'सैद्धांतिक' समर्थन देने पर आम आदमी पार्टी (आप) की भी आलोचना की और कहा कि इससे उनका 'अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा' उजागर हो गया है।

वरिष्ठ अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि अकाली दल ने हमेशा पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता का विरोध किया है और वह इस मुद्दे पर 22वें विधि आयोग के साथ-साथ संसद में भी अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी का मानना है कि देश में नागरिक कानून आस्था, विश्वास, जाति और रीति-रिवाजों से प्रभावित हैं और विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग हैं। सामाजिक ताने-बाने के साथ-साथ विविधता में एकता की अवधारणा की सुरक्षा के हित में इन्हें बरकरार रखा जाना चाहिए।

शिअद की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोपाल में एक कार्यक्रम में यूसीसी के कार्यान्वयन पर जोर देने के एक दिन बाद आई है। चीमा ने कहा कि हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि संविधान निर्माताओं ने यूसीसी को मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया था। इसे समवर्ती सूची में रखा गया था और यह राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा है।चीमा ने कहा कि इस स्थिति को बदलना वांछनीय नहीं है। इससे अल्पसंख्यक समुदायों के अलावा आदिवासी समाज जिनके अपने व्यक्तिगत कानून हैं, वे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई विशेष व्यक्तिगत कानून भेदभावपूर्ण है तो उसमें संशोधन किया जा सकता है लेकिन पूरे देश के लिए एक यूसीसी बनाना उचित नहीं है।

शिअद नेता ने यह भी कहा कि 21वें विधि आयोग ने भी निष्कर्ष निकाला था कि यूसीसी न तो व्यवहार्य है और न ही वांछनीय है। चीमा ने कहा कि राज्यसभा में इस पर एक निजी विधेयक पेश करने से पहले इस मामले पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।

सत्तारूढ़ आप पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि आप और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में बदलाव का वादा किया था लेकिन वे अब खुले तौर पर एक ऐसे मुद्दे का समर्थन कर रहे हैं, जो समाज में कलह का कारण बनेगा।