वेतन से कहीं ज्यादा खर्च, विजिलेंस के रडार पर आया शिक्षा विभाग का बाबू

एटा के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कार्यालय में तैनात लिपिक जितेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में विजिलेंस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यह कार्रवाई विजिलेंस थाना, आगरा सेक्टर में की गई है।

शिकायत के बाद हुई जांच, आय से अधिक 50 लाख का खर्च उजागर

एसपी विजिलेंस आलोक शर्मा के अनुसार, वर्ष 2023 में जितेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके आधार पर 6 मार्च 2023 को शासन ने खुली जांच के निर्देश दिए थे। जांच में सामने आया कि लोकसेवक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने 94.30 लाख रुपये की आय अर्जित की, जबकि उनके खर्च और संपत्ति की कुल राशि लगभग 1.45 करोड़ रुपये पाई गई। यानी उन्होंने 50.67 लाख रुपये वैध स्रोतों से अधिक व्यय किया, जिसके संबंध में वे कोई स्पष्ट या संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

इस आधार पर विजिलेंस निरीक्षक गीता सिंह ने उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) के तहत मामला दर्ज कराया है। अब साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

विभागीय इतिहास और तबादले

जितेंद्र प्रताप सिंह की तैनाती वर्ष 2000 में डायट में लिपिक पद पर हुई थी। 2005 में उन्हें बीएसए कार्यालय एटा में नियुक्त किया गया, और फिर 2012 में कासगंज बीएसए कार्यालय भेजा गया। वहां शिकायतों के चलते 2013 में उनका स्थानांतरण राजकीय बालिका इंटर कॉलेज लालगढ़ी में कर दिया गया। एक साल बाद उन्हें पुनः बीएसए कासगंज कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया। 2017 में वे फिर बीएसए एटा कार्यालय लौटे और वर्तमान में 2022 से राजकीय कन्या इंटर कॉलेज, रामनगर में कार्यरत हैं।

परिवार से ही हुई थी शिकायत

गौरतलब है कि जितेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायत उनके ताऊ योगेंद्र पाल सिंह द्वारा 2019-20 में की गई थी। इसके बाद आगरा विजिलेंस द्वारा जांच शुरू की गई थी, जो अब एफआईआर में तब्दील हो चुकी है।

यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है, बल्कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी कई सवाल खड़े कर रहा है।

Read News: उन्ना: छह साल की चचेरी बहन से बाग में दरिंदगी…फिर मार डाला, यहां छिपाई लाश

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here