उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने की मांग संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका अधिवक्ता अशोक पांडेय ने दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि मानहानि मामले में सजा मिलने के कारण राहुल गांधी सांसद पद के लिए अयोग्य हो जाते हैं।
दो जजों की खंडपीठ—न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला—ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में ही राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी थी। ऐसे में उनकी अयोग्यता लागू नहीं होती। अदालत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में याचिका स्वीकार्य नहीं है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है।
तहसीलों में लंबित मामलों में देरी पर अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने तहसीलों में लंबित राजस्व मामलों की धीमी गति पर गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि यदि मामलों की सुनवाई बिना किसी पर्याप्त कारण के टलती है, तो संबंधित पीठासीन अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होंगे। इसे 2023 के दयाशंकर मामले में दिए गए निर्देशों की अवमानना माना जाएगा और उनके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है।
न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल की एकल पीठ ने यह आदेश बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील में लंबित एक वाद की शीघ्र सुनवाई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने पाया कि बार एसोसिएशन की बार-बार होने वाली हड़तालें न्यायिक प्रक्रियाओं में प्रमुख बाधा बन रही हैं। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि सुनवाई हड़ताल के कारण लंबित हो रही है, तो बार एसोसिएशन के पदाधिकारी भी अवमानना के दायरे में आ सकते हैं।
अदालत ने आदेश की प्रति राजस्व परिषद के अध्यक्ष को भेजने और इसे राज्यभर की तहसीलों में नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि राजस्व संहिता में विभिन्न प्रकार के वादों के निपटारे के लिए समय-सीमा तय है—जैसे नामांतरण विवादों का निपटारा आपत्ति होने पर 90 दिनों में और बिना आपत्ति के 45 दिनों में होना चाहिए। अदालत ने कहा कि तय समय-सीमा का पालन करना अनिवार्य है और किसी भी प्रकार की देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।