इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में अब तेजी आ गई है। नकदी मामले की पड़ताल कर रही समिति को सहायता देने के लिए दो वकीलों रोहन सिंह और समीक्षा दुआ को सलाहकार नियुक्त किया गया है। दोनों की नियुक्ति समिति के कार्यकाल या अगले आदेश तक लागू रहेगी।
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए राजनीतिक दलों का नोटिस स्वीकार किया था। 14 मार्च को वर्मा के सरकारी आवास पर जले हुए नोटों की गड्डियां पाई गई थीं।
जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी आचार्य की समिति बनाई गई थी। समिति ने मामले की जांच में मदद के लिए अब दो वकीलों को शामिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले 7 अगस्त, 2025 को कहा था कि वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच प्रक्रिया कानूनी रूप से मान्य है। जस्टिस वर्मा के आवास परिसर में आग लगने के दौरान जले हुए नोट पाए गए थे, जबकि वे उस समय दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश थे।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों के पैनल ने लगभग 10 दिनों तक जांच की। इस दौरान 55 गवाहों से पूछताछ की गई और 14 मार्च की रात को आग लगने के स्थल का दौरा किया गया।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस जांच रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी।