अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि परिसर में प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह की तैयारियां शनिवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में अंतिम रूप दे दी गईं। पांच दिवसीय धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव 31 दिसंबर से शुरू होगा, जिसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी समारोह में उपस्थित रहेंगे।

मणिराम दास छावनी में आयोजित बैठक में ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण कार्यों की समीक्षा की और ध्वजारोहण समारोह में हुए खर्च का विवरण प्रस्तुत किया। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि समारोह में धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों शामिल होंगे।

अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का कार्यक्रम
27 दिसंबर से 1 जनवरी तक यज्ञशाला में पांच दिवसीय अनुष्ठान आयोजित होंगे, जिनका संयोजन जगदगुरु विश्वप्रसन्न तीर्थ करेंगे। 29 दिसंबर से 2 जनवरी तक अंगद टीला परिसर में प्रख्यात कथा प्रवाचक जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य श्रीराम कथा का प्रवचन देंगे।

तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम 31 दिसंबर से शुरू होंगे। इसमें प्रख्यात भजन गायक अनूप जलोटा, तृप्ति शाक्या और बॉलीवुड गायक सुरेश वाडेकर प्रस्तुति देंगे। कानपुर की एक टोली संगीत के माध्यम से रामचरितमानस का पाठ करेगी, जबकि छत्तीसगढ़ के एक विश्वविद्यालय की टीम भगवान राम के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत करेगी। आगरा की नृत्यांगना पूजा दिवाकर कथक नृत्य-नाटिका के माध्यम से राम के जन्म से लेकर लंका विजय और अयोध्या लौटने की यात्रा प्रस्तुत करेंगी। इसके अलावा दिल्ली के जगदीश मित्तल के संयोजन में कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया जाएगा। सभी कार्यक्रम अंगद टीला परिसर में आम जनता के लिए खुले रहेंगे।

बैठक में उपस्थित ट्रस्ट सदस्य और अधिकारी
बैठक की अध्यक्षता महंत नृत्य गोपाल दास ने की। इसमें राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, महंत दिनेंद्र दास, डॉ. कृष्ण मोहन और नगर आयुक्त जयेंद्र कुमार उपस्थित रहे। इसके अलावा के. पराशरण, जगदगुरु वासुदेवानंद सरस्वती, युग पुरुष परमानंद, कोषाध्यक्ष गोविंद देवगिरी और गृह सचिव संजय प्रसाद ऑनलाइन जुड़े। आमंत्रित सदस्य के रूप में विहिप के केंद्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र, गोपाल राव और रामकथा संग्रहालय के निदेशक संजीव सिंह उपस्थित रहे।

प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह अयोध्या की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए भक्ति, संस्कृति और सामुदायिक सहभागिता का शानदार उत्सव साबित होगा।