देहरादून। जमीअत उलमा-ए-हिन्द उत्तराखंड के प्रदेश उपाध्यक्ष और शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी का शनिवार देर शाम नजीबाबाद में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 75 वर्षीय मौलाना कासमी बिजनौर में एक विवाह समारोह में शामिल होने जा रहे थे। रास्ते में चिड़ियापुर के पास उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें नजीबाबाद के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।
मौलाना कासमी पिछले करीब 40 वर्षों से देहरादून की जामा मस्जिद, पलटन बाजार में इमाम की जिम्मेदारी निभा रहे थे। लंबे समय से स्वास्थ्य ठीक न रहने के बावजूद वे लगातार सामाजिक और धार्मिक कार्यों में सक्रिय थे। उनके परिवार में दो बेटे और चार बेटियां हैं। रविवार को उनका पार्थिव शरीर भंडारीबाग स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जिसके बाद सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
समाज और मजहब के लिए समर्पित जीवन
शहर काजी के निधन से धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों में गहरा शोक व्याप्त है। देर शाम से ही लोगों का उनके आवास पर पहुंचना जारी रहा। मौलाना कासमी को शहर में सामाजिक सौहार्द, आपसी विवादों के समाधान और मुस्लिम समाज में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है।
जमीअत के प्रदेश मीडिया प्रभारी मोहम्मद शाह नजर ने बताया कि मौलाना कासमी ने सामाजिक सुधार और शैक्षिक जागरूकता के कई अभियानों का नेतृत्व किया। प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद, उपाध्यक्ष मुफ्ती रईस अहमद कासमी और महासचिव मौलाना शराफत अली कासमी ने कहा कि कई संवेदनशील परिस्थितियों में मौलाना की समझदारी और दूरदर्शिता से हालात संभले। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
शोक जताने वालों में जमीअत के जिलाध्यक्ष मौलाना अब्दुल मन्नान कासमी, मास्टर अब्दुल सत्तार, मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी, उपाध्यक्ष आकिब कुरैशी, दायित्व फाउंडेशन के अध्यक्ष मोहम्मद यूसुफ, मौलाना मासूम कासमी और मुफ्ती ताहिर कासमी शामिल हैं।