नेताजी के गृह जनपद इटावा के दांदरपुर गांव में कथा सुनाने आये एक यादव और एक दलित का सिर मुंडवा कर नाक रगड़वाई कि वे अब कथा नहीं करेंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि पीडीए के विरुद्ध भाजपा का यह बड़ा षडयंत्र है। उन्होंने सिर मुंडायें लोगों को लखनऊ बुलाकर 51-51 हजार रुपये भी भेंट किये और भविष्यवाणी की कि ब्राह्मणवादी भाजपा का पीडीए (सन् 2027) में सूपड़ा साफ कर देगा।
लोग पूछ रहे हैं कि जाति-जाति चिल्ला कर हिन्दुओं में फूट डालने की कोशिश कौन कर रहा है? ब्राह्मण इतने ही बुरे हैं तो विवाह के सात फेरे पंडितजी से क्यों फिरवाये, नेताजी का क्रिया कर्म पंडितजी से क्यों करवाया?
अहीर ब्रिगेड वाले कह रहे हैं कि देश मनुस्मृति से नहीं चलेगा। संविधान से चलेगा। संविधान पर अमल हुआ तो सिर मुड़ने वाले जेल पहुंच गए। लोग पूछ रहे हैं कि मनुस्मृति नहीं चलेगी तो क्या धर्मनिरपेक्षता के नाम शरियत चलेगी? पीडीए? अभी और गुल खिलायेगा?
लोग यह भी पूछते हैं कि यादव होते हुए इन्होंने अपने नाम के आगे अग्निहोत्री क्यों लिखवाया। यह तो ब्राह्मण की सर्वोच्चिता प्रमाणित करने जैसा है। जिन्होंने सिर मुंडा उन्हें भी कुछ सोचना चाहिए था!
सिर मुंडाये हरि मिले, सब कोई लेय मुंडाय।
बार-बार के मूंडते, भेड़ न वैकुण्ठ जाय॥
यादव जी का सिर मुंडकर जेल पहुंच गये। यादव जी और दलित भैया को 51-51 हजार रूपये मिल गए, तुम्हें क्या मिलेगा?
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’
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