होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह त्योहार भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद की याद में मनाया जाता है, जिन्हें उनकी चाची होलिका ने आग में जलाने की कोशिश की थी. होलिका दहन के दिन, लोग लकड़ियों और उपलों का ढेर जलाते हैं और भगवान से बुराई को दूर करने और अच्छाई को लाने की प्रार्थना करते हैं. आइए जानते हैं इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब है, और भद्रा के साए में पूजा के लिए कितना समय मिलेगा.
होलिका दहन शुभ मुहूर्त | Holika Dahan Shubh Muhurat
इस साल होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा, लेकिन भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता. 13 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 6 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा. ये रात 8 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इसके बाद भद्रा मुख का समय शुरू होगा जो रात 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात को 11 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगा. ये शुभ मुहूर्त रात के 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस साल होलिका दहन के लिए 1 घंटा 4 मिनट का समय मिलेगा.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त | Holika dahan muhurat
- भद्राकाल शुरू 13 मार्च रात 10 बजकर 2 मिनट पर.
- भद्राकाल समापन 13 मार्च रात 10 बजकर 37 मिनट पर.
- होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: 13 मार्च रात 11:26 मिनट के बाद
- मध्य रात्रि में केवल 1 घंटा 4 मिनट का समय मिलेगा.
होलिका दहन पूजा | Holika Dahan Puja
किसी सामूहिक स्थान पर लकड़ियों और उपलों से होलिका का निर्माण करें. होलिका के पास एक लकड़ी या डंडा स्थापित करें, जो होलिका का प्रतीक होता है. उसके बाद शुभ मुहूर्त में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. होलिका को रोली और चावल का तिलक करें. फिर कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटें. फूल माला अर्पित करें. गुड़, बताशे, नारियल और गेहूं की बालियां होलिका को समर्पित करें. पानी से भरे लोटे से होलिका का अभिषेक करें. होलिका की तीन या सात परिक्रमा करें और सच्चे मन से अपनी इच्छा व्यक्त करें और प्रार्थना करें. होलिका दहन की पूजा के बाद होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें.अग्नि में गेहूं की बालियां सेंककर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
होलिका दहन का महत्व | Holika Dahan Significance
होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त प्रहलाद की भक्ति के कारण होलिका का अंत हुआ, जो यह दर्शाता है कि सत्य और धर्म की राह पर चलने वालों की हमेशा विजय होती है. यह पर्व आत्मा की शुद्धि, मन की पवित्रता और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देता है. होलिका दहन से पहले, लोग होलिका की पूजा करते हैं. फिर होलिका दहन के बाद, लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली का त्योहार मनाते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. देहात इसकी पुष्टि नहीं करता है.