सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार ने कमजोर प्रदर्शन किया और प्रमुख सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई। लगातार दूसरे दिन बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली, जिससे सेंसेक्स दो दिनों में 1,200 अंकों से अधिक लुढ़क चुका है। शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स 721 अंक गिरकर 81,463 पर बंद हुआ, जबकि दिन के कारोबार में यह एक समय 786 अंक तक गिर गया। उधर, एनएसई निफ्टी भी 225 अंक की गिरावट के साथ 24,837 पर बंद हुआ और दिन के दौरान 24,806 तक आ गया।
बाजार की इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में अनुमानित 6.42 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर वैश्विक संकेतों, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और प्रमुख वित्तीय शेयरों में भारी दबाव इसकी प्रमुख वजहें रहीं।
बजाज फाइनेंस के शेयरों में गिरावट से बाजार पर दबाव
शेयर बाजार में गिरावट की मुख्य वजह वित्तीय शेयरों, विशेषकर बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व में तेज बिकवाली रही। बजाज फाइनेंस के शेयर 4.7% और बजाज फिनसर्व के शेयर 2.3% तक टूटे। यह गिरावट पहली तिमाही के अच्छे नतीजों के बावजूद एमएसएमई क्षेत्र में एसेट क्वालिटी को लेकर उभरी चिंताओं के कारण आई। इसके अलावा एसबीआई, कोटक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक जैसे बड़े बैंकों में भी गिरावट देखने को मिली।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। 1 अगस्त की डेडलाइन नजदीक होने के बावजूद कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ को लेकर बातचीत अटकी हुई है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का वाशिंगटन से बिना किसी समाधान के लौटना और अमेरिका की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव न आना निवेशकों के मन में असमंजस पैदा कर रहा है।
एफआईआई की लगातार बिकवाली ने बढ़ाई बेचैनी
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बीते चार कारोबारी सत्रों में भारतीय बाजार से लगभग 11,572 करोड़ रुपये की निकासी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रवृत्ति बाजार की कमजोरी को बढ़ा रही है, खासकर स्मॉलकैप शेयरों में जहां मूल्यांकन काफी ऊंचा हो चुका है। इसके चलते व्यापक बाजार में भी गिरावट का असर स्पष्ट दिख रहा है।
भारत-यूके व्यापार समझौते का सीमित प्रभाव
हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भले ही कुछ सेक्टर्स जैसे कपड़ा, ऑटोमोबाइल और शराब उद्योग को राहत मिलने की उम्मीद हो, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के साथ समझौते में स्पष्टता न आने तक इससे बाजार को बड़ी राहत नहीं मिलेगी।
वैश्विक माहौल भी नहीं रहा अनुकूल
एशियाई बाजारों में शुक्रवार को कमजोरी का रुख देखा गया। जापान का निक्केई सूचकांक रिकॉर्ड स्तर से 0.8% नीचे आ गया, वहीं हांगकांग का हैंगसेंग और ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 भी लाल निशान में बंद हुए। चीन के बाजारों में भी गिरावट रही। निवेशकों की नजर अगले सप्ताह फेड की बैठक, अमेरिकी नौकरियों के आंकड़े और बड़ी टेक कंपनियों—जैसे ऐप्पल, अमेज़न, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट—के नतीजों पर टिकी हुई है।