गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी उच्च न्यायालयों से एसिड अटैक मामलों में लंबित ट्रायल की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इन मामलों को गंभीरता से देखेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से 2009 के एक एसिड अटैक मामले में दिल्ली की अदालत में देरी पर नाराजगी जताई और इसे 'राष्ट्रीय अपमान' करार दिया। अदालत ने उच्च न्यायालयों के रजिस्टार जनरल को निर्देश दिए कि वे लंबित मामलों के आंकड़े प्रस्तुत करें।

याचिकाकर्ता, जो खुद एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं, सीधे पीठ के सामने उपस्थित हुईं। उन्होंने बताया कि उन पर 2009 में हमला हुआ था और मामला अभी भी लंबित है। उन्होंने कहा कि 2013 तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई और अब दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में यह अंतिम चरण में है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने लंबित मामलों की 16 साल से अधिक समय से देरी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "यदि राष्ट्रीय राजधानी ही इस चुनौती का समाधान नहीं कर सकती, तो फिर कौन करेगा? यह न्याय व्यवस्था के लिए शर्म की बात है।"

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह मुकदमे में तेजी लाने के लिए औपचारिक आवेदन दाखिल करें। साथ ही, कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह कानून में सुधार करने पर विचार करे ताकि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को विशेष वेलफेयर स्कीमों का लाभ मिल सके और उन्हें डिसेबल्ड कैटेगरी में शामिल किया जा सके।