रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के गुरुवार से शुरू हो रहे भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाली अहम चर्चाएँ होने की संभावना है। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के उन्नत व भविष्य के संस्करणों पर बातचीत प्रमुख विषय रहेगा। हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ चार दिन चले ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सटीक मारक क्षमता और सुपरसोनिक गति ने भारतीय सैन्य कार्रवाई को निर्णायक बढ़त दिलाई थी। इसी वजह से अब इसके उन्नत स्वरूप की जरूरत और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति फिलीपींस को शुरू कर दी है, जबकि इंडोनेशिया और यूएई के साथ भी निर्यात से संबंधित चर्चा आगे बढ़ रही है।

हल्के और लंबी दूरी के संस्करण को लेकर होने वाली संभावित चर्चा

रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारत वायुसेना की सभी श्रेणी के लड़ाकू विमानों पर तैनात की जा सकने वाली ब्रह्मोस–नेक्स्ट जेनरेशन (NG) जैसी हल्की मिसाइलों को विकसित करना चाहता है। प्रस्तावित नए संस्करणों की क्षमता 400 किमी या उससे अधिक दूरी तक लक्ष्य भेदने की हो सकती है। इसके साथ ही तीन गुना अधिक दूरी तक मार करने वाले विस्तारित रेंज वाले मॉडल पर भी चर्चा की उम्मीद है। उम्मीद जताई जा रही है कि पुतिन के भारत प्रवास के दौरान इस पूरी परियोजना में नई गति मिल सकती है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत–रूस का संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस–NG के डिजाइन पर काम कर रहा है और इसका उड़ान परीक्षण अगले वर्ष प्रस्तावित है। नया संस्करण हल्का, कॉम्पैक्ट और सेना, नौसेना, वायुसेना—तीनों के विविध प्लेटफ़ॉर्म के अनुरूप डिजाइन किया जा रहा है।

क्यों जरूरी है ब्रह्मोस के नए संस्करण?

नए मॉडल का वजन लगभग 1.29 टन होगा, जो मौजूदा ब्रह्मोस का लगभग आधा है। डीआरडीओ प्रमुख वी. समीर कामत के अनुसार वर्तमान ब्रह्मोस केवल सुखोई–30MKI पर ही फिट की जा सकती है, लेकिन हल्का संस्करण सभी लड़ाकू विमानों पर लगाया जा सकेगा। हल्के स्वरूप के बावजूद यह मिसाइल 300 किमी से अधिक दूरी पर हमला करने की क्षमता रखेगी, जिससे छोटे विमानों को भी शक्तिशाली क्रूज़ मिसाइल क्षमता मिल सकेगी।

रक्षा मंत्रियों की बैठक में भी उठेगा ब्रह्मोस का मुद्दा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव गुरुवार को होने वाली वार्ता में एस–400 मिसाइल सिस्टम, सुखोई–30 उन्नयन, ब्रह्मोस के नए संस्करण व अन्य मिलिट्री प्रणालियों की आपूर्ति पर विस्तृत चर्चा करेंगे। यह वार्ता पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की शुक्रवार को निर्धारित शिखर बैठक से ठीक पहले होगी। भारत इस बैठक में रूस से तय समयसीमा के भीतर रक्षा उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर देगा।

ऊर्जा क्षेत्र में छोटे रिएक्टरों पर सहयोग की संभावना

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति पुतिन के स्वागत में विशेष भोज देंगे। दोनों नेताओं की शिखर बैठक में रक्षा सहयोग के साथ-साथ छोटे परमाणु रिएक्टरों, व्यापारिक तंत्र को बाहरी दबाव से सुरक्षित रखने और रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने पर चर्चा होने की उम्मीद है।

ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका ने बढ़ाई अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी

पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर भारी प्रभाव डालने के बाद ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सफलता वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी। रफीकी, मुरीदके, नूर खान, जैकबाबाद, सुक्कुर और स्कार्दू जैसे ठिकानों पर की गई सटीक मारक कार्रवाई ने ब्रह्मोस की प्रतिष्ठा और बढ़ाई है।

‘फायर एंड फॉरगेट’: ब्रह्मोस की खासियत

डीआरडीओ और रूस की NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा विकसित ब्रह्मोस दो–चरणीय मिसाइल है, जिसका नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों से प्रेरित है। ठोस ईंधन बूस्टर के बाद रैमजेट इंजन इसे मैक–3 गति तक ले जाता है। इसका रडार सिग्नेचर कम है, जिससे रक्षा प्रणाली इसे मुश्किल से पकड़ पाती है। यह 15 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भर सकने के साथ मात्र 10 मीटर की ऊंचाई पर भी हमला कर सकती है।

विस्तारित रेंज और भविष्य के संस्करण

ब्रह्मोस की मानक रेंज 290 किमी है, लेकिन हाल के परीक्षणों में 450 किमी और 800 किमी रेंज वाले संस्करण भी सफल साबित हुए हैं। भविष्य में 1,500 किमी रेंज वाले मॉडल विकसित करने की योजना है। पहली बार इसका परीक्षण 12 जून 2001 को हुआ था। आज, 2025 में, इसके दो प्रमुख संस्करण भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में तैनात हैं।