भारत और अमेरिका के बीच तीन महीने से अधिक समय से चल रहे शुल्क विवाद के बावजूद अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निवेश की अपनी योजनाओं को जारी रखा है। दोनों सरकारों के बीच इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत जारी है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और एप्पल जैसी बड़ी आईटी कंपनियों से लेकर अमेरिकी वित्तीय फंड और हार्डवेयर निर्माता तक इस अनिश्चितता से प्रभावित नहीं हुए हैं। इन कंपनियों का कहना है कि टैरिफ विवाद उनके भारत में चल रहे और आगामी निवेशों को प्रभावित नहीं करेगा।

विशेष रूप से गूगल ने विशाखापत्तनम में 10 अरब डॉलर के डेटा सेंटर हब बनाने का बड़ा निवेश करने का फैसला किया है। पहले कंपनी 2024 में छह अरब डॉलर का निवेश करने वाली थी, लेकिन अब कुल निवेश राशि बढ़ाकर 10 अरब डॉलर कर दी गई है। इसी तरह, माइक्रोसॉफ्ट ने जनवरी 2025 में तीन अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी और जुलाई में शुल्क विवाद के दौरान अपनी योजना को अंतिम रूप दिया। इस निवेश के जरिए कंपनी भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित करेगी।

इसके अलावा, अमेरिकी कंपनी ऑर्डिनरी थ्योरी ने भारतीय फर्म ऑप्टीमस इन्फ्राकॉम के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित किया है। इसका उद्देश्य भारत में स्मार्ट हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और दूरसंचार क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करना है। ऑप्टीमस के चेयरमैन अशोक कुमार गुप्ता ने इसे 'मेड इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में कदम बताया।

एप्पल ने भारत में बने iPhone के निर्यात में 75 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है और 2027 तक वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। बोइंग और अमेज़न जैसी अन्य अमेरिकी कंपनियां भी निवेश की गति बढ़ा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों का भरोसा भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और सुधारती साख से और अधिक बढ़ा है।

इस तरह, टैरिफ विवाद के बावजूद अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निवेश और विस्तार की दिशा में अपने कदम जारी रखे हैं।