नई दिल्ली: किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को लंबित बकाया का बड़ा राहत भरा भुगतान मिल गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को घोषणा की कि कर्मचारियों को कुल 312 करोड़ रुपये उनके बकाए के रूप में वितरित किए गए।

चेनई के डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) ने रेस्टिट्यूशन को मंजूरी देने के बाद यह राशि आधिकारिक लिक्विडेटर को कर्मचारियों में बांटने के लिए ट्रांसफर की गई। ट्रिब्यूनल ने पहले ED द्वारा SBI को लौटाए गए शेयरों से प्राप्त फंड जारी करने का निर्देश दिया था।

मामले का इतिहास
यह मामला सीबीआई द्वारा विजय माल्या के खिलाफ लोन फ्रॉड केस दर्ज करने के बाद शुरू हुआ, जिसके बाद माल्या लंदन भाग गया। इसके बाद ED ने माल्या और किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। जनवरी 2019 में माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया।

PMLA के तहत ED ने माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और संबद्ध कंपनियों की कुल 5,042 करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की और जब्त कर ली। इसके अलावा 1,695 करोड़ रुपये की संपत्तियों को भी अटैच किया गया।

बाद में विशेष PMLA कोर्ट ने सभी अटैच की गई संपत्तियों की बिक्री के लिए SBI-नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को अनुमति दी। इन संपत्तियों की बिक्री से कुल 14,132 करोड़ रुपये मिले, जिनका उपयोग कर्मचारियों के बकाया सहित विभिन्न दावों के निपटान में किया गया।

अधिकारियों का बयान
ED के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने सभी संबंधित पक्षों और SBI के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय कर लंबे समय से पेंडिंग कर्मचारियों के बकाए के निपटान को सुनिश्चित किया। प्राप्त संपत्तियों का उपयोग कर्मचारियों के दावों का भुगतान करने में किया गया।”

उन्होंने आगे कहा कि SBI ने DRT में इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन दाखिल कर प्राप्त संपत्ति कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए पेश की और यह सुनिश्चित किया कि अन्य सिक्योर्ड क्रेडिटर्स की तुलना में कर्मचारियों के दावे को प्राथमिकता दी जाए।