यदि आप पेंशन प्राप्त करते हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। भारत सरकार के पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) ने देशभर में चौथा राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (DLC) अभियान 1 नवंबर से 30 नवंबर, 2025 तक चलाने की घोषणा की है। इस अभियान का उद्देश्य पेंशनभोगियों तक सीधे पहुंच बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी पेंशनभोगी अपनी पेंशन नियमित रूप से प्राप्त कर सकें।

DLC जमा करने की अंतिम तिथि
पेंशनभोगियों को सूचित किया गया है कि वे अपना डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र 1 से 30 नवंबर के बीच जमा करवा दें। विशेष ध्यान देने योग्य है कि 80 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्ग पेंशनभोगी 1 अक्टूबर से ही अपना प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं। समय पर प्रमाण पत्र जमा न करने पर पेंशन भुगतान में रुकावट आ सकती है।

डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र क्या है?
डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र एक बायोमेट्रिक और आधार-आधारित दस्तावेज है, जिसे हर पेंशनभोगी को वार्षिक रूप से जमा करना होता है। यह प्रमाण पत्र यह पुष्टि करता है कि पेंशनभोगी जीवित हैं और पेंशन जारी रखी जा सकती है। इसे जमा करने के लिए आधार नंबर, नाम, मोबाइल नंबर और पेंशन से जुड़ी जानकारी जैसे PPO नंबर और बैंक खाता विवरण आवश्यक होते हैं।

कैसे जमा करें DLC?
इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने 19 पेंशन वितरण बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB), पेंशनभोगी कल्याण संघ (PWA), रेलवे, दूरसंचार विभाग, UIDAI और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के साथ मिलकर योजना बनाई है। देश के बड़े शहरों में बैंक शाखाओं और पोस्ट ऑफिसों में विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इसके अलावा, घर पर रहने वाले वृद्ध, बीमार और विकलांग पेंशनभोगियों के लिए घर या अस्पताल में जाकर भी यह सुविधा दी जाएगी।

पेंशनभोगी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र कई माध्यमों से जमा कर सकते हैं:

  • ऑनलाइन लाइफ सर्टिफिकेट पोर्टल पर आधार प्रमाणीकरण के साथ

  • डाक सेवा के जरिए

  • डोरस्टेप बैंकिंग सेवा के माध्यम से

  • या नामित अधिकारियों से हस्ताक्षर कराकर

आधार नंबर अनिवार्य
डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाने के लिए आधार नंबर या वर्चुअल आईडी (VID) अनिवार्य है। यदि आपका आधार कार्ड अभी तक नहीं बना है या लिंक नहीं हुआ है, तो इसे जल्द से जल्द पूरा कर लें।

क्यों जरूरी है DLC?
डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र का मुख्य लाभ यह है कि पेंशनभोगियों को बार-बार सरकारी कार्यालय जाकर कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं करनी पड़ती। यह प्रक्रिया ऑनलाइन और डिजिटल हो चुकी है, जिससे समय और मेहनत की बचत होती है। साथ ही, इससे धोखाधड़ी और गलत पेंशन वितरण को भी रोका जा सकता है।