सीपीआई में बदलाव की तैयारी, ऑनलाइन शॉपिंग डेटा से तय होगी खुदरा महंगाई

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जब मौद्रिक नीतियां बनाता है या रेपो रेट जैसे फैसले लेता है, तो उसका प्रमुख आधार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) होता है। CPI का उपयोग देश में खुदरा महंगाई को मापने के लिए किया जाता है। अब केंद्र सरकार इस सूचकांक में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसके तहत अब ब्लिंकइट, जेप्टो और बिगबास्केट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध वस्तुओं की कीमतों को भी CPI के मूल्य निर्धारण में शामिल किया जाएगा।

वर्तमान में CPI की गणना एक मानक प्रोडक्ट बास्केट के आधार पर होती है, जिसमें किराना, टेलीकॉम बिल, ईंधन, गैस जैसी वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं। फिर इस बास्केट की कीमत विभिन्न बाजारों से एकत्र कर सूचकांक तैयार किया जाता है। लेकिन उपभोक्ताओं की बदलती खरीदारी की आदतों को देखते हुए अब सरकार इस प्रणाली में ई-कॉमर्स का डेटा भी जोड़ने की योजना बना रही है।

12 प्रमुख शहरों से जुटेगा डेटा

नई योजना के तहत सरकार देश के 12 उन महानगरों से आंकड़े जुटाएगी, जिनकी जनसंख्या 25 लाख से अधिक है। इन शहरों में ऑनलाइन खरीदारी के रुझान को ध्यान में रखते हुए, सब्जियों, फलों और किराना सामान की कीमतों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से एकत्र किया जाएगा। इस जानकारी से न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण स्तर पर भी महंगाई का सटीक मूल्यांकन हो सकेगा। इसके अलावा, इससे उपभोक्ताओं के व्यवहार में आ रहे बदलावों की भी गहराई से समझ विकसित होगी। अनुमान है कि इस नई प्रणाली पर आधारित CPI आंकड़े वर्ष 2026 से सार्वजनिक किए जा सकते हैं।

कीमतें कैसे जुटाई जाएंगी?

प्रत्येक शहर में एक प्रमुख ऑनलाइन विक्रेता को चयनित किया जाएगा, जिससे संबंधित वस्तुओं की कीमतें प्राप्त की जाएंगी। उदाहरण के तौर पर, लखनऊ से चावल की दर जानने के लिए बिगबास्केट को चुना जा सकता है, जबकि बेंगलुरु में यह जिम्मेदारी जेप्टो या अमेज़न को सौंपी जा सकती है।

इस समय CPI के आंकड़े 1,181 ग्रामीण और 1,114 शहरी बाजारों से जुटाए जाते हैं। लेकिन नई पद्धति लागू होने के बाद यह संख्या बढ़कर लगभग 2,900 बाजारों तक पहुंच सकती है।

और भी होंगे कई बदलाव

इस संशोधित प्रणाली में मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट सेवाएं, केबल टीवी, ओटीटी प्लेटफॉर्म की सदस्यताएं, साथ ही विमान और रेल यात्रा के खर्च को भी शामिल किए जाने की संभावना है। साथ ही CPI के आधार वर्ष को 2012 से बदलकर 2024 करने की भी तैयारी चल रही है, जिससे महंगाई दर को और अधिक प्रासंगिक व आधुनिक संदर्भों में मापा जा सके।

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