नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2020 दिल्ली दंगों के मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की पीठ ने कहा कि अब दलीलों को नियंत्रित किया जाएगा और आरोपियों के वकीलों को अपनी मौखिक दलीलें अधिकतम 15 मिनट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
पीठ ने यह भी कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू द्वारा प्रस्तुत सफाई या जवाब 30 मिनट से अधिक नहीं होना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर के लिए तय की गई है।
अभियुक्तों को स्थायी पते जमा करने का निर्देश
अदालत ने आरोपियों के वकीलों को उनके स्थायी पते जमा कराने का निर्देश भी दिया। इस दौरान कार्यकर्ता शरजील इमाम के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनके मुवक्किल को बिना ट्रायल और दोषसिद्धि के ‘खतरनाक आतंकवादी’ बताया जा रहा है। इमाम को 28 जनवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था, यानी दंगों से पहले।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उमर खालिद की ओर से कहा कि दंगों के समय उनका मुवक्किल दिल्ली में मौजूद नहीं था। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि आरोपी गल्फिशा फातिमा लगभग छह साल से जेल में हैं और मुकदमे में देरी असामान्य एवं चिंताजनक है।
दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया
दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपियों की जमानत का कड़ा विरोध किया। पुलिस का कहना है कि फरवरी 2020 के दंगे अचानक नहीं हुए थे, बल्कि यह एक योजनाबद्ध साजिश थी। पुलिस ने आरोप लगाया कि यूएपीए और आईपीसी के तहत गिरफ्तार आरोपियों को दंगों के मुख्य साजिशकर्ता होने के कारण हिरासत में लिया गया। इन दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए थे। हिंसा सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी।