विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2026 में सोने की कीमतें मौजूदा स्तर से 15 से 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। वर्ष 2025 में अब तक सोना लगभग 60 प्रतिशत महंगा हो चुका है। विशेषज्ञ इसके पीछे अमेरिका में प्रस्तावित टैरिफ, वैश्विक अनिश्चितताओं और केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ी हुई खरीद को प्रमुख कारण मान रहे हैं। अस्थिर परिस्थितियों में निवेशकों ने सोने को सुरक्षित विकल्प के रूप में अधिक तरजीह दी है, जिससे इसकी कीमतों में तेज़ उछाल दर्ज हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि 2026 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि धीमी रहती है और ब्याज दरों में अपेक्षा से अधिक कमी आती है, तो सोने की कीमतों में 5 से 15 प्रतिशत तक की और बढ़त देखी जा सकती है। हालांकि, गंभीर आर्थिक मंदी की स्थिति में यह बढ़ोतरी 15 से 30 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। दूसरी ओर, यदि ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियों के सकारात्मक नतीजे सामने आते हैं और आर्थिक गतिविधियां तेज होती हैं, तो सोने की कीमतों में 5 से 20 प्रतिशत की गिरावट भी संभव है।
गोल्ड ETF में निवेश का बढ़ना जारी
WGC की रिपोर्ट बताती है कि गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश की मांग तेज बनी हुई है। कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक गोल्ड ETF में लगभग 77 अरब डॉलर का निवेश हुआ है, जिससे कुल होल्डिंग में 700 टन से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। मई 2024 से अब तक का आकलन देखें तो ETF होल्डिंग लगभग 850 टन बढ़ चुकी है। परिषद का कहना है कि पिछली बुल रन की तुलना में यह अभी भी कम है, इसलिए आगे और वृद्धि की संभावना बनी हुई है। बढ़ते निवेश का असर आभूषण क्षेत्र पर पड़ा है, जहां मांग में कमी देखी गई है।
2026 में गिरावट की आशंका भी जताई
डब्ल्यूजीसी ने चेताया है कि यदि अमेरिकी नीतियां मजबूत वृद्धि को बढ़ावा देती हैं और राजकोषीय प्रोत्साहन प्रभावी रहता है, तो 2026 में सोने की कीमतें 5 से 20 प्रतिशत तक घट सकती हैं। ऐसी स्थिति में वैश्विक मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है, जिससे फेडरल रिज़र्व ब्याज दरों को स्थिर रखने या बढ़ाने की दिशा में कदम उठा सकता है। बढ़ती यील्ड और मज़बूत अमेरिकी डॉलर सोने की कीमतों पर दबाव डाल सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि निवेशकों का रुझान जोखिम वाले संपत्तियों की ओर बढ़ता है और हेजिंग की मांग घटती है, तो सोने में गिरावट संभावित है। खुदरा मांग कमजोर पड़ने की स्थिति में यह दबाव और बढ़ सकता है।