मेरठ से प्रकाशित 'हिन्दू' समाचारपत्र के संस्थापक संपादक महावीर प्रसाद 'शशि' का 90 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। 50 से 80 तक का दौर स्थानीय पत्रकारिता का उन्नयन काल था। इस कालखंड में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानीय समाचार पत्र तथा पत्रकार एवं संपादक हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय हुए। वी. एस. विनोद (विशम्भर सहाय विनोद) ने अंग्रेजी का 'संडे टाइम्स' प्रकाशित करना शुरू किया किन्तु बाद में सांध्य दैनिक 'प्रभात' का प्रकाशन आरंभ किया। 'प्रभात' ने अनेक लोगों को आगे बढ़ाया जिनमें शिवकुमार गोयल एवं ओंकार चौधरी जैसे प्रमुख पत्रकारों के नाम भी सम्मिलित है। महावीर प्रसाद 'शशि' ने भी अपनी पत्रकारिता 'प्रभात' से आरम्भ की थी।
शशि जी मेरठ के एक सामान्य वैश्य परिवार से आते थे। उनके पिता लाला रघुवीर शरणदास धर्मपरायण सरल प्रकृति के सज्जन पुरुष थे। शशि जी का जन्म 8 मार्च, 1935 को मेरठ में हुआ। शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात उनकी रुचि प्रेस और पत्रकारिता की ओर बढ़ी। भारत के विभाजन के पश्चात एवं नवगठित पाकिस्तान से हिन्दुओं के पलायन से मेरठ का वातावरण भी आंदोलित था। स्व. वी.एस. विनोद उस समय हिन्दू महासभा में खूब सक्रिय थे। उसी समय शशि जी उनसे जुड़े। सन् 1954 में हिन्दी दैनिक 'हिन्दू' का प्रकाशन प्रारम्भ किया। पहले यह मेरठ के स्वामीपाड़ा मोहल्ले से प्रकाशित होता रहा, बाद में मेरठ के हृदय स्थल, बेगम पुल के पी.एल शर्मा रोड पर 'हिन्दू' का कार्यालय और प्रेस स्थापित किया।
स्व. महावीर प्रसाद शशि को श्रमजीवी पत्रकार मानना अधिक उपयुक्त है, यद्यपि बड़े अखबारों में सेवा करने वालों को श्रमजीवी पत्रकार कहा जाता है। 'हिन्दू' को खड़ा करने में उन्होंने कठोर परिश्रम किया और उसे लोकप्रिय समाचार पत्र बनाया। वे साहसी और निडर प्रवृत्ति के शख्स थे किन्तु पीत एवं पक्षपाती पत्रकारिता से सदा दूर रहे। उनकी स्वस्थ पत्रकारिता पर कभी किसी भी प्रकार का लांछन नहीं लगा। इस प्रकार शशि जी ने स्थानीय पत्रकारिता के गौरव को बढ़ाया।
साथी एवं सहयोगी पत्रकारों के प्रति शशि जी का दृष्टिकोण उदार एवं सहानुभूतिपूर्ण रहता था। मुझे याद है कि मुजफ्फरनगर के पत्रकार स्व. ठाकुर दास चंचल की बेटी के विवाह में उन्होंने बड़ा सहयोग दिया था। मेरठ से मुजफ्फरनगर आकर शादी में तन, मन, धन से सहयोग दिया और बेटी की विदाई के बाद ही मेरठ लौटे।
शशि जी ने पत्रकारिता के उच्च आदर्शों की रक्षा करते हुए अपने परिवार को खड़ा किया। उनका पुत्र मुकेश और पुत्री मीनाक्षी अग्रवाल तथा पौत्र एवं दौहित्र गण गौरव के साथ अपना सिर उठा सकते हैं, यह शशि जी की आदर्श पत्रकारिता की पूंजी है।
शशि जी का पिताश्री स्व. राजरूप सिंह वर्मा (संस्थापक संपादक 'देहात') तथा मुझसे प्रगाढ़ स्नेह संबंध था। मुझे स्मरण है जब मैं भीतरी और बाहरी षडयंत्रों की गिरफ्त में फंसा था, तब शशि जी ने मेरा साहस बढ़ाया और अपने प्रेस में 'देहात' को छाप कर अमूल्य सहयोग दिया था। उनका स्नेह एवं सहयोग कतई भुलाया नहीं जा सकता।
यह कालचक्र की गति है जिसमें स्थानीय पत्रकारिता के स्तंभ धीरे-धीरे गिरते जा रहे हैं। मेरठ के समाचार पत्र 'पब्लिक' के संपादक गौरीशंकर, वी.एस. विनोद, विशम्भर सहाय प्रेमी, राजेन्द्र पाल गोयल, सहारनपुर के कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर', उनके पुत्र अखिलेश 'प्रभाकर', बिजनौर के मुनीश्वर दत्त त्यागी और बाबू सिंह चौहान,आगरा के डोरीलाल अग्रवाल, अलीगढ़ (प्रावदा) के गौरीशंकर, आगरा की इंदिरा फौजदार, गुलावटी के प्रेमचंद कंसल आदि स्थानीय पत्रकारिता के कीर्तिस्तम्भ कालगति में समा गये। खेदजनक स्थिति यह है कि स्थानीय पत्रकारिता का महत्व एवं गौरव शनः शनः समाप्त होता जा रहा है। कॉर्पोरेट्स और बड़े मीडिया हाउस स्थानीय पत्रकारिता पर छा चुके हैं। शायद नियति को यही मंजूर है।
स्थानीय पत्रकारिता के स्तम्भ महावीर प्रसाद 'शशि' के निधन से हम मर्माहित है। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना, कोटि-कोटि नमन !
गोविंद वर्मा (संपादक 'देहात')