मुजफ्फरनगर के नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में लव जिहाद चलाने वाले शोहदे रात्रि में सीढ़ी लगा कर घर में घुसे और घरवालों को पिस्तौल दिखाकर नाबालिग छात्रा को जबर दस्ती अगुवाकर कर मस्जिद में ले गये जहां मौलवी के जरिये कलवा पढ़वा के उसका धर्मान्तरण करा दिया।

यह अपहृत किशोरी के घर वालों का कहना है। एस.पी सिटी सत्यनारायण प्रजापत का कहना है कि किशोरी को तलाशने के लिए टीमें लगाई गई हैं। चूंकि लड़की के अपहरण के दृश्य सी.सी.टी.वी. कैमरे में कैद हैं अतः घटना को निराधार नहीं कहा जा सकता।

घर में सीढ़ी लगाकर 5 बदमाशों का उतरना और पिस्तौल दिखा कर लड़की के उठा ले जाने की दुस्साहसिक घटना से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। पहला सवाल है कि क्या यह मुजफ्फरनगर है या पाकिस्तान का सिंध प्रान्त जहां मुस्लिम गुंडे एक वर्ष में 1500 हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करा लेते हैं और उनके साथ निकाह कर लेते हैं? मुजफ्फरनगर तो उत्तर प्रदेश में है जहां गुंडों व शोहदों का एनकाउंटर का आदेश है।

दूसरा सवाल है, जब लव जिहाद के हल्ले मचे हैं और हिन्दुओं को एकता व सावधानी से रहने की अपील की जाती है तब अभिभावक अपनी बहू बेटियों पर निगाह क्यों नहीं रखते?

बेटी की रक्षा का पहला कर्तव्य वालिदैन व परिजनों का है, पुलिस का नम्बर तो बाद में आता है। इज्जत बचाने के लिए जान देने की सैकड़ों नहीं हज़ारों घटनाएं हैं। परिवार का एक या दो सदस्य मर भी जाता लेकिन गुंडों का कुप्रयास तो असफल हो जाता।

स्वामी यशवीर तो फिर हिन्दू अस्मिता बचाने के लिए सामने आ गये लेकिन क्या हिन्दू संगठनों ने, रोज धर्मरक्षा के नाम पर जलसे जलूस निकालने वालों ने और स्वामी जी से सहायता की अपेक्षा रखने वालों ने कभी यह भी सोचा है कि स्वामी यशवीर महाराज को हत्या की धमकी किसने दी और तितावी पुलिस का साहस कैसे हो गया कि वह उनपर उंगली उठाए? यही बुज़दिली गुंडों का दुस्साहस बढ़ाती है।

गोविंद वर्मा (संपादक 'देहात')