सड़क परिवहन संबंधी दो विशेष समाचार हैं। पहला समाचार 2 जनवरी, 2024 का है जो नई दिल्ली से आया है। केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और भारतीय परिवहन कांग्रेस के अध्यक्ष अमृत लाल मदान तथा ट्रांस्पोर्टर संघ के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई वार्ता के बाद‌ ‌तीन दिवसीय देशव्यापी ड्राइवरों की हड़ताल खत्म हो गई है। सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि 'हिट एंड रन' कानून पर व्यापक विचार, आपत्तियों के पश्चात ही इसे लागू किया जाएगा।
गौरतलब है कि देश में दिनों दिन बढ़‌ती जा रही सड़‌क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं के बाद वाहन चालकों के फरार हो जाने की प्रथा को रोकने के लिए केन्द्र सर‌कार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 106(1) व 106(2) के अन्तर्गत त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने का निर्णय लेने की घोषणा की थी। धारा 106 (1) मे प्रावधान है कि चूक या असावधानी से दुर्घटना होने पर वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति या व्यक्तियों को अस्पताल ले जाएगा और पुलिस को इसकी सूचना देगा। यदि दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो ड्राइवर पर गैर इरादतन हत्या का मुकद‌मा चलेगा, जिसमें अधिकतम 5 वर्ष कारावास का प्रावधान है। धारा 106(2) के अंतर्गत दुर्घटना के बाद यदि ड्राइ‌वर फरार हो जाता है तो पुलिस चालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर मुकद‌मा चला सकती है, जिसमें दस वर्ष की कैद व 7 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष 25,000 व्याक्ति सड़क दुर्घटनाओं में बेमौत मारे जाते हैं, औसतन 43000 लोग घायल और अपंग हो जाते हैं। 33 प्रतिशत सड़‌क दुर्घटनायें ड्राइवर की लापरवाही से होती हैं।

यह एक कड़वी सच्चाई है कि कुछ दुर्घटनाएं या हत्यायें गैर इरादतन नहीं होतीं, जानबूझ कर की जाती हैं। भले ही ऐसी वारदातें नाममात्र की हों। मुजफ्फरनगर के लोगों की याद‌दाश्त कमजोर नहीं है तो उन्हें याद होगा कि मैं रोहाना क्षेत्र के एक प्रसिद्ध नेता की गाड़ी पर ट्रक चढ़ा कर पूरे परिवार को ख़त्म कर दिया गया था, हालांकि बाद में ट्रक द्वारा हत्या कराने वाला मुजफ्फरनगर कचहरी में मारा गया था। इरादतन अपने वाहन को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले चालक अपनी गलती कबूल नहीं करते।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह को सड़क दुर्घटना में मारने की साजिश रची गई थी, यह खुद ज्ञानी जी के पौत्र ने बताया था।

यह एक दुःखद समाचार था। हरियाणा के तावडू संभाग में नियुक्त डी.एस.पी. सुरेन्द्र सिंह बिश्नोई की 20 जुलाई 2022 में नूंह क्षेत्र में खनन माफिया ने उनकी डम्पर से कुचला कर हत्या करा दी थी। बिहार में तो पुलिस या खनन विभाग के कर्मचारियो को वाहन से कुचल कर मारने का रिवाज़ है। 8 अक्टूबर 2023 को बिहार के जमुई में दरोगा प्रभात रंजन को ट्रैक्टर से कुचल कर मारा गया। शामली-कैराना में भी वाहनों का प्रयोग हथियार के रूप में खूब हुआ है।
अभी चन्द दिनों पहले मुजफ्फरनगर के बेगरजपुर (मंसूरपुर) में गलत दिशा से आये ट्रक में भाई-बहन को कुचल कर मार डाला था।

पूरा देश, नेता और मीडिया वाहन चालकों की मनोदशा व उनके खाने-पीने के तौर-तरीकों से परिचित है। जिस देश में सलमान खान और आमिर खान जैसे लोग गाड़ी से टक्कर मारते हों तथा अमीरजादे लक्जरी कारें लाहपरवाही से चलाते हों, फुटपाथों पर सो रहे गरीबों को रौंद कर जश्न मनाते हों, वहां क्या दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत नहीं? अफ़सोस है कि राष्ट्रीय मीडिया हड़ताल करने वाले चालकों को गरीब, बेचारा बता रहा है, लेकिन लोगों को नये 'हिट एंड रन' कानून की अच्छाइयों से परिचित नहीं करा रहा।

परिवहन संबधी दूसरा बड़ा समाचार असम के गोलपाड़ा जिले का है। आज- 3 जनवरी प्रातः 5.30 बजे गलत दिशा से आ रहे ट्रक ने तीर्थयात्रियों की बस में टक्कर मार दी। 12 यात्री मौके पर ही मर गए, 35 घायल हैं। वाहन चालक सुधरने को क्यूं तैयार नहीं? क्या वे देश के कानून से बाहर हैं ?

गोविन्द वर्मा