दिल्ली। विज्ञापन जगत के दिग्गज और "एडगुरु" कहे जाने वाले पीयूष पांडे का शुक्रवार को निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से संक्रमण से जूझ रहे थे। फेविकोल, कैडबरी, एशियन पेंट्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों के यादगार विज्ञापन उनके रचनात्मक प्रतिभा के प्रतीक बने। 90 के दशक में राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाले प्रसिद्ध गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा” की रचना भी उन्होंने ही की थी। उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 11 बजे मुंबई के शिवाजी पार्क में किया जाएगा।

चार दशकों तक भारतीय विज्ञापन जगत की पहचान बने
पीयूष पांडे ने अपने चार दशक लंबे करियर में भारतीय विज्ञापन उद्योग को नई दिशा दी। वे ओगिल्वी के ग्लोबल चीफ क्रिएटिव ऑफिसर और भारत के कार्यकारी अध्यक्ष थे। 1982 में ओगिल्वी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले पांडे ने सनलाइट डिटर्जेंट के लिए अपना पहला विज्ञापन लिखा। कुछ वर्षों में ही वे कंपनी के क्रिएटिव विभाग का हिस्सा बने और फेविकोल, लूना मोपेड, फॉर्च्यून ऑयल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे ब्रांडों के लिए ऐसे विज्ञापन बनाए जो लोगों की यादों में बस गए। उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया लगातार 12 वर्षों तक देश की शीर्ष विज्ञापन एजेंसी बनी रही। 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

विज्ञापन से फिल्मों तक का सफर
पीयूष पांडे ने रचनात्मकता के अन्य आयामों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने 2013 की फिल्म “मद्रास कैफे” में अभिनय किया और आईसीआईसीआई बैंक के मैजिक पेंसिल प्रोजेक्ट जैसे अभियानों का हिस्सा बने। इसके अलावा उन्होंने फिल्म “भोपाल एक्सप्रेस” की पटकथा भी लिखी थी। उनका लिखा “मिले सुर मेरा तुम्हारा” गीत भारतीय टेलीविजन के इतिहास में राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया।

विज्ञापन, व्यापार और राजनीति जगत में शोक की लहर
पीयूष पांडे के निधन पर विज्ञापन जगत के साथ-साथ राजनीति और उद्योग क्षेत्र में भी गहरा शोक व्यक्त किया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन को रोजमर्रा की भाषा, हास्य और संवेदनशीलता से नया रूप दिया। उनकी रचनात्मकता पीढ़ियों तक प्रेरणा देती रहेगी।”

कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने ट्वीट किया, “पीयूष पांडे का जाना बेहद दुखद है। उन्होंने 2003 में कोटक बैंक के लॉन्च अभियान के जरिए बैंकिंग को ‘सामान्य ज्ञान’ की तरह प्रस्तुत किया। उनकी सोच और सादगी दोनों ही असाधारण थीं।” लेखक और स्तंभकार सुहेल सेठ ने कहा, “भारत ने सिर्फ एक महान विज्ञापन मस्तिष्क ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और विनम्र इंसान को खो दिया है। अब स्वर्ग भी ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ पर गूंजेगा।”