अक्सर अत्यधिक काम का दबाव, किसी झटके या लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने के कारण कमर और पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती है। लेकिन यदि यह दर्द लगातार बना रहे या कमर से शुरू होकर पैरों तक पहुंचे, तो इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक गंभीर स्थिति — साइटिका — का लक्षण हो सकता है, जिसमें शुरुआती असहजता धीरे-धीरे इतना बढ़ जाती है कि उठना-बैठना और चलना तक मुश्किल हो जाता है।
क्या है साइटिका का दर्द?
ऑर्थोपेडिक सर्जन बताते हैं कि जब रीढ़ से जुड़ी सियाटिक नर्व पर दबाव पड़ता है, तब साइटिका की समस्या उत्पन्न होती है। यह नर्व रीढ़ से होती हुई कूल्हों, जांघों और पिंडलियों से गुजरते हुए पैरों की एड़ियों तक जाती है। जब यह नस दब जाती है तो पीठ से लेकर पैर तक तीव्र दर्द महसूस होता है, जो कभी-कभी बिजली जैसी चुभन के रूप में भी हो सकता है। इस स्थिति में बैठना, खड़ा होना या चलना कठिन हो सकता है और कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
साइटिका की वजहें क्या हैं?
सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अजय पंवार के अनुसार, रीढ़ की हड्डी में मौजूद कुशनीय संरचनाएं (डिस्क) जब बाहर की ओर उभर जाती हैं, तो यह सियाटिक नर्व को दबा सकती हैं। रीढ़ की हड्डी में हड्डियों की अत्यधिक वृद्धि या स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की संकरी स्थिति) भी इस दबाव का कारण बन सकती है। इसके अलावा, चोट लगना, अत्यधिक व्यायाम, गर्भावस्था, कुछ ट्यूमर या पेल्विक फ्लोर की समस्याएं भी साइटिका की वजह बन सकती हैं।
लक्षणों की पहचान करें
- पीठ के निचले हिस्से से लेकर जांघ और पिंडलियों तक दर्द
- पैर में झुनझुनी, सुन्नता या जलन
- मांसपेशियों में कमजोरी या अकड़न
- चलने-फिरने में परेशानी
क्या करें यदि साइटिका के लक्षण दिखें?
साइटिका का दर्द महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आराम करना और विशेषज्ञ द्वारा सुझाई गई एक्सरसाइज करना लाभकारी हो सकता है। कुछ मामलों में दर्द को कम करने के लिए दवाइयां या इंजेक्शन दिए जाते हैं। साथ ही, फिजियोथेरेपी का सहारा लेकर नस के दबाव को कम किया जा सकता है। लेकिन यदि फिजियोथेरेपी से भी राहत नहीं मिलती है, तो ऑपरेशन के माध्यम से दबी हुई नस को ठीक करने की आवश्यकता हो सकती है।