आरक्षण की सीमा हटे तभी जाति जनगणना का लाभ: जयराम रमेश

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से जातिगत जनगणना कराए जाने के ऐलान के बाद भी इसको लेकर सियासत जारी है. जातिगत जनगणना की लगातार मांग करने वाली कांग्रेस ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी बिना समयसीमा के ही सुर्खियां बनाने में माहिर हैं. सरकार ने खबर की हेडिंग तो दे दी, लेकिन इसको लेकर कोई समयसीमा नहीं बताई. साथ ही कहा कि सरकार को आरक्षण में 50 फीसदी की सीमा को खत्म कराया जाना चाहिए तभी ये सार्थक होगा.

आगामी आम जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल करने के फैसले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आज गुरुवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी बिना समयसीमा के सुर्खियां बनाने में माहिर हैं. सरकार के इस फैसले पर कई तरह के सवाल भी उठते हैं, खासकर सरकार की मंशा पर. उन्होंने कहा कि जनगणना जल्द से जल्द कराई जानी चाहिए.

2019 की प्रेस नोट का दिया हवाला

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को हटाने की मांग करते हुए सवाल कि मोदी सरकार को ऐसा करने से आखिर कौन रोक रहा है? उन्होंने यह भी कहा, “कांग्रेस मांग करती रही है कि संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए और आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को हटा दिया जाना चाहिए. जातिगत जनगणना तभी सार्थक होगी जब ऐसा किया जाएगा.”

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दिसंबर 2019 की एक कैबिनेट बैठक की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया. इस विज्ञप्ति में जानकारी दी गई थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8,254 करोड़ रुपये की लागत से 2021 में जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. लेकिन अब उस प्रेस विज्ञप्ति में जाति आधारित गणना का कोई उल्लेख नहीं था.

मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता रमेश ने कहा, “हर कोई जानता है कि तब जनगणना नहीं कराई गई और अब 6 साल भी बीत चुके हैं. हैरानी की बात है कि सरकार ने कल इसकी घोषणा की.” साथ ही उन्होंने मोदी सरकार से देश के सामने जातिगत जनगणना के लिए रोडमैप पेश करने का अनुरोध किया.

जनगणना को लेकर क्या इरादाः रमेश

जयराम रमेश ने यह भी दावा किया कि 2025-26 के बजट में जनगणना कमिश्नर के ऑफिस को महज 575 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए. वे 575 करोड़ में किस तरह की जनगणना कराने की योजना बना रहे हैं? जनगणना को लेकर उनका इरादा क्या है- क्या यह सिर्फ खबर की हेडिंग देने के लिए है? उनके इरादे पर कई तरह के सवाल उठते हैं.”

2021 में ही जनगणना कराए जाने की बात करते हुए रमेश ने कहा, “आपको साल 2021 में ही जनगणना करवानी चाहिए थी. लेकिन वे कोरोना महामारी का हवाला देते रहे, जबकि 50 से ज्यादा देशों ने इस महामारी के दौरान जनगणना करवाई. फिर 2023 और 2024 में कोई महामारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने इसे नहीं करवाया गया.”

जयराम रमेश का यह कमेंट केंद्र सरकार की ओर से यह ऐलान किए जाने के एक दिन बाद आया है कि जातिगत जनगणना अगली जनगणना का हिस्सा होगी. देश की आजादी के बाद पहली बार जातिगत विवरण भी शामिल किया जाएंगे.

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