बेलगावी। कर्नाटक में गन्ना किसानों का आंदोलन शुक्रवार को लगातार नौवें दिन भी जारी रहा। बेलगावी में बेंगलुरु-पुणे नेशनल हाईवे पर किसान सड़कों पर उतर आए और पथराव किया। यह घटना किसानों की बढ़ती नाराजगी को दर्शाती है, जो उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद उचित मूल्य न मिलने का आरोप सरकार पर लगा रहे हैं। पिछले दिन ही बेलगावी में राज्य के चीनी मंत्री शिवानंद पाटिल के काफिले पर चप्पल फेंकी गई थी।
सिद्धारमैया ने केंद्र को ठहराया जिम्मेदार
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस गतिरोध के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। गुरुवार को उन्होंने बेंगलुरु में दो बैठकें बुलाईं—पहले चीनी मिल मालिकों और फिर किसान नेताओं के साथ। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और उचित मूल्य फॉर्मूले पर तुरंत चर्चा करने की मांग की, जिसे वे आंदोलन की मुख्य वजह बता रहे हैं।
किसानों ने दी दो दिन की अल्टीमेटम
यह आंदोलन अब दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुका है और बेलगावी, बागलकोट और विजयपुरा जिलों में परेशानियां बढ़ा रहा है। कुछ कन्नड़ समर्थक संगठनों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक दिवसीय बंद का आह्वान किया। हालांकि किसानों ने हाईवे नाकेबंदी टाल दी, लेकिन सरकार को अपनी मांगें पूरी करने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दे दिया है।
3,500 रुपये प्रति टन की मांग
किसान गन्ने के न्यूनतम मूल्य के रूप में 3,500 रुपये प्रति टन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हाल के वर्षों में खेती की लागत में भारी बढ़ोतरी हुई है। स्थानीय यूनियनों के अनुसार, खाद, मजदूरी, सिंचाई और परिवहन की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। गन्ना उगाने की लागत अब लगभग 2,900 से 3,000 रुपये प्रति टन है।
सिद्धारमैया ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र में स्थिति को गंभीर बताया और किसान समुदाय में बढ़ती अशांति की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, किसानों और चीनी मिलों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई आम सहमति नहीं बन पाई है।