केरल की विशेष एनआईए अदालत ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से संबंधित दस संपत्तियों की कुर्की के आदेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय उचित सुनवाई और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर सुनाया। केंद्र सरकार ने पीएफआई को 2022 में आतंकी संगठनों से संबंधों के चलते प्रतिबंधित किया था।
विशेष न्यायाधीश पीके मोहनदास ने अपने आदेश में कहा कि कई मामलों में संपत्ति मालिकों को आरोपित नहीं ठहराया गया और उन्हें अपनी बात रखने का अवसर भी नहीं मिला। जिन संपत्तियों की कुर्की रद्द की गई, उनमें मलप्पुरम का ग्रीन वैली फाउंडेशन ट्रस्ट और कोल्लम स्थित करुण्या फाउंडेशन शामिल हैं। अन्य आठ संपत्तियां भी निजी व्यक्तियों और ट्रस्टों की हैं, जिन्हें आतंकवाद से अर्जित आय से जुड़ा दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं थे।
एनआईए की कार्यवाही को इस फैसले से झटका लगा है, क्योंकि एजेंसी ने इन संपत्तियों को आतंकी गतिविधियों में प्रयुक्त होने का दावा किया था।
फरार होने पर रद्द हुई गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से जुड़े अंसारी की जमानत
एक अन्य मामले में, एनआईए ने हथियार तस्करी केस में गिरफ्तार शाहबाज अंसारी की अंतरिम जमानत रद्द करवा दी है। अंसारी पर आरोप है कि उसने पत्नी की सर्जरी का बहाना बनाकर जमानत हासिल की और फिर फरार हो गया। एजेंसी की अपील पर विशेष अदालत ने यह जमानत रद्द कर दी।
अधिकारियों के अनुसार, अंसारी दिसंबर 2022 में गिरफ्तार हुआ था और पिछली सुनवाई में कोर्ट को गुमराह कर सशर्त रिहाई ली थी। उसकी तलाश में तलाशी अभियान जारी है। एनआईए को संदेह है कि वह संगठित आपराधिक गिरोह से जुड़े अवैध हथियारों के मामले में कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश कर रहा है।