बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया को लेकर उठा विवाद अब पश्चिम बंगाल तक पहुंच गया है। बंगाल में अगस्त से मतदाता सूची सुधार का काम शुरू होने की संभावना है, लेकिन उससे पहले ही अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या समुदाय में बेचैनी देखी जा रही है।
शनिवार को सामने आए एक मामले ने प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश के विपक्षी बीएनपी पार्टी से जुड़े एक नेता ने पश्चिम बंगाल की एक महिला से विवाह कर भारतीय दस्तावेज प्राप्त किए और यहां मतदान भी किया। मामला सार्वजनिक होते ही उसका नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उत्तर 24 परगना से सामने आया मामला
यह घटना उत्तर 24 परगना जिले के बागदा स्थित बागी गांव की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बांग्लादेशी नागरिक रेजाउल मंडल ने गांव की निवासी शेरफुल मंडल से करीब 30 साल पहले शादी की थी। उस समय शेरफुल को जानकारी नहीं थी कि उनका पति विदेशी नागरिक है। रेजाउल ने पत्नी की मां को अपनी माता बताते हुए भारतीय पहचान पत्र और वोटर कार्ड बनवा लिया और बाद में चुनाव में मतदान भी किया।
हाल ही में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद रेजाउल अपने बड़े बेटे फिरोज मंडल के साथ बांग्लादेश लौट गया। प्रशासन को एक शिकायत के आधार पर जानकारी मिली, जिसके बाद उसकी जांच शुरू हुई।
शिकायत के बाद शुरू हुई कार्रवाई
बागदा बीडीओ को मिली शिकायत के बाद जांच के दौरान पता चला कि रेजाउल और उसका बेटा गांव से गायब हैं। चुनाव कार्यालय में गुरुवार को हुई सुनवाई में उसकी पत्नी ने बताया कि दोनों बांग्लादेश चले गए हैं। बीडीओ प्रसून प्रमाणिक के अनुसार जांच में पिता-पुत्र के पास वैध दस्तावेज नहीं मिले हैं और नाम हटाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता शाहदाद मंडल ने कहा कि रेजाउल के नाम को सूची से हटाने की मांग की गई है, लेकिन उसकी पत्नी और बेटा भारतीय नागरिक हैं और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
वहीं भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर तृणमूल सरकार पर तीखा हमला बोला है। भाजपा जिला अध्यक्ष देवदास मंडल ने आरोप लगाया कि रेजाउल अपना पासपोर्ट लेकर भाग गया है और प्रशासन को उसकी साजिश पर ध्यान देना चाहिए।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ममता बनर्जी सरकार को घेरते हुए लिखा, “अब मुख्यमंत्री अवैध बांग्लादेशियों के लिए सहानुभूति जताएंगी और कहेंगी कि वे ‘बांग्ला बोलते हैं’, इसलिए उनके साथ मेहमान जैसा व्यवहार होना चाहिए। यह संवेदना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।” उन्होंने आरोप लगाया कि ममता सरकार वोटबैंक की राजनीति के लिए देशहित से समझौता कर रही है।