चुनाव नजदीक आते ही बिहार की राजनीति में दल-बदल का दौर तेज हो गया है। इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ. अशोक राम ने पार्टी से नाता तोड़ते हुए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का दामन थाम लिया है। उनका यह फैसला चुनावी रणनीति और दलित वोट बैंक की दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
पटना स्थित जदयू कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में डॉ. राम को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। इस अवसर पर संजय झा ने कहा कि महागठबंधन के और भी कई नेता जदयू के संपर्क में हैं, जिन्हें अपने दल में सम्मान नहीं मिल रहा है।
"नीतीश कुमार की जरूरत है बिहार को"
जदयू में शामिल होने के बाद डॉ. अशोक राम ने कहा कि उन्होंने यह फैसला अपने पुत्र अतिरेक के साथ मिलकर लिया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने राज्य के गरीब, दलित, महादलित और पिछड़े वर्गों के लिए जो काम किया है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि 2025 में "फिर एक बार नीतीश सरकार" का संकल्प पूरा करना है।
बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि डॉ. राम जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता के आने से जदयू को ताकत मिलेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे, लेकिन जदयू में उनके आत्मसम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
लंबे समय से पार्टी से थे खफा
सूत्रों के अनुसार, डॉ. अशोक राम पिछले कुछ समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। उनके समर्थकों का कहना है कि बतौर दलित नेता उन्हें पार्टी में उपेक्षा झेलनी पड़ी। खास तौर पर बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरु से उनके रिश्ते तनावपूर्ण बताए जा रहे थे।
लोकसभा चुनाव के बाद से ही उन्हें संगठनात्मक गतिविधियों से किनारे रखा गया था। हालांकि, डॉ. राम ने पार्टी छोड़ने का औपचारिक कारण “निजी” बताया है और कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से कांग्रेस की सदस्यता छोड़ी है।