नीतीश पर हमलावर चिराग को जदयू का जवाब: कहा– मीडिया नहीं, कैबिनेट में उठाएं मुद्दा

बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सियासत गरमा गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने राज्य में बढ़ते अपराधों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि उन्हें अफसोस है कि वे उस सरकार का हिस्सा हैं, जिसमें अपराध नियंत्रण से बाहर हो गया है। पासवान के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है और तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।

जेडीयू और आरजेडी ने किया पलटवार

जेडीयू के विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने चिराग के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि दुखी व्यक्ति कोई ठोस काम नहीं कर पाता। उन्होंने सलाह दी कि केंद्रीय मंत्री होने के नाते चिराग पासवान को ये मुद्दे मीडिया में उठाने की बजाय केंद्रीय कैबिनेट में रखने चाहिए।
वहीं, आरजेडी सांसद मनोज झा ने इस बयान को “डबल स्पीक” बताते हुए कहा कि चिराग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी हैं, तो ऐसे में वे केवल बयानबाज़ी करने के बजाय केंद्र की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम को बिहार भेजने की मांग क्यों नहीं करते?

मनोज झा ने पूछा– कौन है जिम्मेदार?

मनोज झा ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब आप प्रशासन को दोष दे रहे हैं, तो यह भी बताएं कि प्रशासन के पीछे की जिम्मेदारी किसकी है? शासन का मतलब कौन होता है? उन्होंने कहा कि सिर्फ प्रशासन कहकर जिम्मेदारी से नहीं बचा जा सकता। अगर स्थिति गंभीर है, तो चिराग पासवान को खुद पहल करते हुए जांच की मांग करनी चाहिए।

कांग्रेस का तंज– ‘अब हुआ एहसास?’

कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने भी चिराग पासवान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शायद अब उन्हें उस सच्चाई का एहसास हुआ है, जिसे विपक्ष काफी समय से उठा रहा था। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लंबे समय से बिगड़ी हुई है और सरकार इसमें बार-बार विफल रही है।

चिराग ने क्या कहा था?

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा था कि बिहार में अपराधों की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है और ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन अपराधियों के सामने बेबस हो चुका है। उन्होंने सरकार से अपील की कि हालात बिगड़ने से पहले सख्त कदम उठाए जाएं। साथ ही यह भी जोड़ा कि उन्हें पीड़ा है कि वे ऐसी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, जहां आम जनता असुरक्षा महसूस कर रही है।

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