जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक गतिविधियाँ तेज होती जा रही हैं। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी बिहार की मौजूदा व्यवस्था को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है—चाहे वह सत्ता में आकर हो या वर्षों के संघर्ष के माध्यम से।
प्रशांत किशोर ने कहा, “जन सुराज या तो बहुत ऊपर जाएगी या फिर ज़मीन से जुड़े संघर्ष में रहेगी। या तो इतनी सीटें मिलेंगी कि हम सत्ता में आकर बदलाव ला पाएंगे या फिर हमें 5-6 वर्षों तक जन आंदोलन के रास्ते से परिवर्तन की ओर बढ़ना होगा। लेकिन बदलाव ज़रूर होगा।”
नीतीश युग के अंत का दावा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर किशोर ने कहा कि नवंबर में चुनाव परिणाम आने के बाद बिहार की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। परिणाम चाहे जो भी हो, राज्य को एक नया नेतृत्व मिलेगा और मौजूदा प्रशासनिक ढांचे में भी बड़ा बदलाव आएगा।”
जनता के हक की बात, नेताओं के राज के खिलाफ आवाज़
किशोर ने जनता से अपील करते हुए कहा कि बिहार को बदलना है तो सत्ता नेताओं की नहीं, बल्कि जनता की होनी चाहिए। “लोगों को रोजगार, शिक्षा और विकास को प्राथमिकता देते हुए मतदान करना चाहिए,” उन्होंने कहा।
दोनों गठबंधनों पर हमला
प्रशांत किशोर ने सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी INDIA गठबंधन दोनों पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब हमने अपनी पदयात्रा शुरू की, तब बीजेपी ने हमें विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बताया और अब विपक्ष हमें एनडीए से जुड़ा बता रहा है। इससे साफ है कि दोनों पक्षों को जन सुराज की बढ़ती लोकप्रियता से डर लगने लगा है।”